पांच जुलाई को राजद ने अपना 28 वां स्थापना दिवस मनाया। राजद ने अपने 27 साल के सफर में कई बार अग्नि-परीक्षा दी है, कठिन संघर्ष किया है, तो बिहार के इतिहास में शानदार पन्ने भी जोड़े हैं। जिन्हें एक समय मतदान केंद्र से भगा दिया जाता था, खटिया पर बैठना भी अपराध बन जाता था, उन गरीबों में आत्मसम्मान जगाया तथा उन्हें हक के लिए बोलना भी सिखाया। राजद सांसद संजय यादव ने कहा कि 5 जुलाई, 1997 वो तारीख़ है, जब नींव पड़ी एक ऐसे दल की जो बिहार के इतिहास में हर गरीब के न्याय की आवाज़ बनकर उभरा, जिसने बराबरी की अलख जगाई और समाज से ग़ैर-बराबरी मिटाई।
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नौकरशाही डॉट कॉम के संपादक इर्शादुल हक ने राजद के 28 साल के सफर पर सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- 5 जुलाई 1997 इतिहास का टर्निंग पॉइंट है जब लालू प्रसाद ने राजद की स्थापना की। 27 वर्षों की सबसे बड़ी सफलता यह है कि हाशिये के आवाम ने सामन्तवादियों की आंखों में आंखे डाल बात करने की हैसिहत में आ गए राजद की सबसे बड़ी चुनौती अब तक यह है कि इसका सबसे बड़ा विरोधी मनुवादी मीडिया है। उन्होंने आगे लिखा-राजद की सबसे पूंजी सामाजिक न्याय और सेक्युलरिज्म के दो पहिये हैं जिनके सहारे इसने राजनीति का सफर अब तक जारी रखा है।भले सत्ता से राजद बाहर भी रहा पर जनसमर्थन के ऐतबार से बिहार की राजनीति का केंद्रबिंदु राजद ही रहा। आज आलम यह है कि लालू प्रसाद लिविंग लिजेंड बन चुके हैं। वह 2012 का वर्ष था जब राजद भीषण संकट में था। बीमार लालू जेल और मुकदमे से जूझ रहे थे, राबड़ी जी के सामने मुसीबतों का पहाड़ था। तब क्रिकेट की दुनिया को छोड़ तेजस्वी यादव ने सियासत की दुनिया में कदम रखा। कम लोग यकीन कर रहे थे कि लालू के आदर्श को वह आगे ले जा सकेंगे। पर महज तीन साल में तेजस्वी ने अविश्वसनीय तरीके से बिहार की सियास्त के मजबूत धुरी बन गए और पार्टी को सत्ता के बनवास से बाहर निकाला। जदयू और भाजपा जैसे दल, राजद से कम सीट पर सिमट गए। इन 12 वर्षों के करियर में तेजस्वी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उनने खुद को दूसरी पीढ़ी के बिहार के सबसे सशक्त हस्ताक्षर के रूप में स्थापित कर लिया। और तेजस्वी यादव की अब तक की बड़ी कमजोरी यह रही कि परिस्थितियों ने उन्हें फुलप्रूफ फैसला लेने का अवसर नहीं दिया।
केंद्र सरकार अपने अंतरविरोधों से गिर जाएगी-लालू
पटना में शुक्रवार को राजद स्थापना दिवस मनाया गया। पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि देश में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जो सरकार बनी है, वह काफी कमजोर सरकार है और यह सरकार जल्द ही अपने कारणों से गिर जायेगी, क्योंकि जनता के जनादेश का पालन नहीं किया गया।
इन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी के नेतृत्व में बिहार विधान सभा का चुनाव मजबूती से लड़ेंगे साथ ही कार्यकर्ताओं से पिछड़ों, अतिपिछड़ों, दलित, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के बीच जाकर काम करने तथा उनके मान-सम्मान तथा हक और अधिकार के लिए उनके बीच उनके घर तक जाने की आवश्यकता है।
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विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि राजद कभी सत्ता में रहा, कभी विपक्ष में लेकिन कभी भी अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं किया और न ही साम्प्रदायिक शक्तियों को आगे बढ़ने का मौका दिया। हमारे समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने पूरे मनोबल के साथ अपनी विचारधारा पर चलकर पार्टी को मजबूती प्रदान की। कार्यकर्ता ही पार्टी की रीढ़ हैं और सभी के मेहनत का प्रतिफल है कि हमलोग आज बेहतर प्रदर्शन किये।
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