गोदी मीडिया लगातार ऐसी खबरें परोस रहा है, जिससे लगता है कि राजद और कांग्रेस में फूट पड़ गई है। पहले तो गोदी मीडिया बता रहा था कि प्रदेश में कांग्रेस कमजोर है, जिसका खामियाजा राजद को उठाना पड़ेगा। 2020 के चुनाव में कांग्रेस की निष्क्रियता के कारण ही तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं बन सके। अब जब कांग्रेस सक्रिय हो गई है, तो गोदी मीडिया बता रहा है कि तेजस्वी यादव टेंशन में है। कांग्रेस के भीतर घमासान और कांग्रेस में फूट की खबरें भी बनाई जा रही हैं।
स्थिति यह है कि महागठबंधन की सक्रियता बढ़ी है। अगर तेजस्वी यादव माई-बहिन योजना को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो कांग्रेस ने पलायन और बेरोजगारी को मुद्दा बनाया है। कांग्रेस का मुद्दा भाजपा और नीतीश कुमार के खिलाफ जाता है। आखिर दोनों बिहार में लगभग 20 वर्षों से सत्ता में हैं। वाम दलों की सक्रियता भी बढ़ी है। माले ने 2 मार्च को गांधी मैदान में रैली करके ताकत दिखाया है।
भाजपा और प्रशांत किशोर के लिए कांग्रेस का सक्रिय होना भारी नकसानदेह साबित हो सकता है। स्पष्ट है कि कांग्रेस का जो भी वोट बढ़ेगा, वह भाजपा-जदयू से कटकर ही बढ़ेगा। राजद का वोट तो पहले से ठोस है। इसीलिए भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि कांग्रेस सक्रिय हो। कांग्रेस की निष्क्रियता से भाजपा को फायदा होगा। वहीं कांग्रेस के प्रति अगर लोगों में उम्मीद जगेगी, तो भाजपा और जदयू तथा प्रशांत किशोर को नुकसान होगा।
गोदी मीडिया लगातार ऐसी खबरें प्लांट कर रहा है, जिससे राजद और कांग्रेस में किसी तरह अविश्वास बने और दोनों में एकता नहीं रहे। इस स्थिति में भाजपा की राह आसान हो जाएगी। बस इसी एजेंडे को गोदी मीडिया हवा देने में लगा है। हालांकि राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व और तेजस्वी यादव के बीच अच्छा तालमेल है और दोनों के अलग होने की खबरों में कोई दम नहीं है।