AD Singh Files nominationतेजस्वी ने कहा कि राजद ए टु जेड सबकी पार्टी है

RJD का तेजस्वीयुग और सामाजिक न्याय

राजद के सामाजिक न्याय का विस्तार है AD singh का राज्सभा में भेजा जाना

सामाजिक न्याय के लिए लालू की तरह प्रतिबद्ध Tejashwi yadav ने भूमिहार AD Singh को अपर हाउस में भेज कर जता दिया है कि उनकी पार्टी समावेशी सियासत पर मजबूत अकीदा रखती है. अब शिद्दत से यह भी महसूस किया जा रहा है कि मुसलमानों तक भी सामाजिक न्याय की रौशनी पहुंचे.

Irshadul Haque, Editor naukarshahi.com

2015 विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की तो इसमें भूमिहार समाज के एक भी व्यक्ति का नाम नहीं था. राजनीतिक विश्लेषक इस सूची को देख कर हैरान नहीं थे.

2019 के लोकसभा चुनाव में भी राजद ने एक भी भूमिहार को टिकट नहीं दिया था. इतना ही नहीं बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने भूमिहार समाज के कन्हैया कुमार को टिकट दिया तो राजद ने कन्हैया का समर्थन नहीं किया.बल्कि राजद ने वहां से उसने अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया.

उस समय भी एक वर्ग यह मान कर चल रहा था कि राजद की राजनीति भूमिहार विरोध पर टिकी है. यादवों और भूमिहारों में छत्तीस का आंकड़ा है. लिहाजा ये दोनों समुदाय एक राजनीतिक मंच पर आने से गुरेज करते हैं.

परंतु 2020 में तेजस्वी यादव ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया. राजद ने राज्यसभा में अमरेंद्र धारी सिंह ( Amrendra Dhari Singh) AD Singh को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. एडी सिंह भूमिहार हैं. तेजस्वी का यह फैसला, राजद की पारम्परिक राजनीति के बरअक्स था. एडी सिंह के नाम की घोषणा के बाद तेजस्वी ने कहा राजद ए टु जेड सबकी पार्टी है. हमने पार्टी पदों से ले कर चुनावी पदों पर भी तमाम सामाजिक समुहों का प्रतिनिधित्व देने के उसूल पर चल रहे हैं.

हालांकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक व राजनीत की सामान्य समझ रखने वाले कुछ लोगों ने राजद के इस कदम की आलोचना भी की है.

राजद का तेजस्वीयुग

पर यह नहीं भूलना चाहिए कि राजद का नेतृत्व अब तेजस्वी यादव के हाथ में आ चुका है. तेजस्वी सामाजिक न्याय और सेक्युलरिज्म की राजनीति के मुद्दों पर जहां एक तरफ अपने पिता लालू प्रसाद की तरह आक्रामक रुख रखते हैं वहीं दूसरी तरफ राजद को समावेशी दल बनाने की ओर भी अग्रसर हैं. इससे पहले उन्होंने पार्टी के तमाम पदों पर अति पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए बाजाब्ता आरक्षण कोटे की घोषणा की थी. इतना ही नहीं तब राजद ने इस कोटे के अनुसार पदों पर तमाम सामाजिक व धार्मिक समुहों का प्रतिनिध्तव सुनिश्चत करके दिखाया भी.

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इसी प्रयास के तहत राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद पर राजपूत समुदाय के जग्दानंद सिंह को जिम्मेदारी सौंपी.  मनोज झा को राज्यसभा में भेजने का फैसला दो साल पहले इसी समावेशी रणनीति के तहत किया गया.

तेजस्वी यादव अपने भाषणों में अकसर कहा करते हैं कि सामाजिक न्याय की लड़ाई प्रोग्रेसिव सवर्णों को साथ ले कर ही लड़ी जा सकती है.

एडी सिंह ने जब आज राजद से राज्यसभा के उम्मीदवार के रूप में नामंकन भरा तो तेजस्वी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि राजद ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जो सबको साथ ले कर चलती है.

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राजद में तेजस्वी युग के बढ़ते प्रभाव को देखें तो पता चलता है कि विभिन्न सामाजिक समुहों के प्रतिनिधित्व के मामले में राजद ने मुसलमानों को उनकी भीगीदारी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में थोड़ी भी आनाकानी नहीं की.सामाजिक न्याय की राजनीति का तकाजा भी यही है कि किसी भी सामाजिक समुह के साथ हर हाल में न्याय सुनिश्चित हो.

लेकिन सामाजिक न्याय के मामले में राजद को एक कदम और आगे बढ़ाने की जरूरत है. सामाजिक न्याय का मुद्दा सिर्फ हिंदू समाज का मुद्दा नहीं है. यह मुद्दा मुसलमान समाज के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

मुसलमानों तक पहुंचे सामाजिक न्याय

 राजद के रणनीतिकार मुसलमानों के प्रतिनिधित्व के मामले में भी सामाजिक न्याय के प्रति गंभीर हैं. इसकी झलक पिछले दिनों पार्टी के विभिन्न पदों पर नेतृत्व देने के मामले में देखा जा चुका है. राजद के नितिनिर्धारक इस मामले में भी गंभीर हैं कि मुसलमानों के पसमांदा वर्गों का प्रतिनिधित्व संसद व विधानसभा में सुनिश्चुत हो. चूंकि लोकसभा व विधानसभा में उम्मीदवारी तय करने में विनिबिलिटी एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में सामने आ जाता है इसलिए.इस मामले में कोई भी दल एक हद से ज्यादा रिस्क लेने का साहस नहीं दिखा पाता. ऐसे में राज्यसभा व विधान परिषद में पिछड़े मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने के मामले में राजद को कदम बढ़ाना चाहिए. यह काम राजद ही कर सकता है. क्योंकि राजद अगर पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया देवी को सदन में पहुंचा सकता है तो किसी कपड़ा धोने वाले, सब्जी बेचने वाले या रुई धुनने वाले मुसलमान को भी सदन में पहुंचाने का साहस दिखा सकता है.

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