Manoj jha in rajyasabha

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश कोटा बिल पर चर्चा के दौरान राजद ने बिल का विरोध डंके की चोट पर कर दिया है। इस दौरान राजद सांसद मनोज झा 10 प्रतिशत आरक्षण को झुनझुना बताया। विरोध स्वरूप वे सदन में झुनझुना लेकर पंहुचे थे। वहीं, सरकार नेे इस बिल में गरीबी तय करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की बताई है।

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नौकरशाही डेस्क

RJD के सांसद मनोज झा ने कहा कि देश में जातिव्यवस्था बहुत खतरनाक स्थिति में है। सरकार का यह 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला जातिगत आरक्षण के फैसले को खत्म करने की कोशिश है। इसलिए राजद बिल का विरोध करता है। उन्होंने झुनझुना दिखाते हुए कहा कि यह झुनझुना हिलता भी है और बजता भी है। किंतु सरकार आरक्षण के नाम पर जो झुनझुना दिखा रही है वह केवल हिलता है, बजता नहीं है।

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वहीं, रविशंकर प्रसाद ने बिल पर चर्चा के दौरान संविधान का उल्‍लेख किया और आरक्षण की व्‍याख्या किया। संविधान में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का जिक्र नहीं। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन में केंद्र सरकार की ओर से गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। गरीब निर्धारित करने की राशि 8 लाख रुपये होगी, लेकिन राशि के मामले में य‍ह राज्‍यों के पास अधिकार होगा कि वे इसे कम भी कर सकते हैं या 8 लाख भी रख सकते हैं।

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कांग्रेस ने बिल को सामाजिक न्याय का पक्षधर बताया। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सैंकड़ों सालों के अन्याय को महज कुछ दशकों में बराबर नहीं किया जा सकता है। देश के पिछड़े और अनूसचित जाति और जनजाति के साथ बहुत समय तक अन्याय होता रहा है। पिछड़े और कमजोर लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया। उससे हटकर जब आरक्षण में बदलाव करने का प्रयास किया गया तो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। जब संविधान का संशोधन आता है तो यह सोचकर होता है कि जिसके लिए यह किया जा रहा है उनको इसका तुरंत लाभ मिले।

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उन्होंने कहा कि मुझे यह नहीं समझ आ रहा है कि साढ़े चार साल बीत जाने के बाद आखिरी सत्र में आप इस संशोधन को लेकर क्यों आए हैं। इसका अर्थ साफ है कि तीन राज्यों में चुनाव में हार के बाद आपको समझ आयी है।

By Editor


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