राजद ने पूछा राज्य में कितने कुर्मी नौकरशाह, हम बताते हैं इतने

मधुबनी जनसंहार के दोषियों को बचाने का आरोप लगाते हुए राजद ने पूछा राज्य में कितने कुर्मी नौकरशाह हैं। विधायकों की पिटाई के बाद भी यह सवाल उठा था।

राजद का आरोप है कि नीतीश कुमार एक जिले और एक जाति के मुख्यमंत्री हैं। जब भी कोई कांड होता है, तो यह लॉबी मुख्यमंत्री को बचाने में लग जाती है। विधानसभा में पहली बार पुलिस के प्रवेश करने और विधायकों को लात-घूंसों से पीटने के मामले में भी मुख्यमंत्री की जाति और जिले का सवाल उठा था।

एक बार फिर मधुबनी में जनसंहार होने के बाद मुख्य अपराधी के बचाने, भाजपा विधायक का नाम आने पर भी उनसे कोई पूछताछ नहीं होने पर वही सवाल उठ रहा है। नौकरशाही डॉट कॉम ने यह पता करने की कोशिश की कि आखिर कितने महत्वपूर्ण पदों पर मुख्यमंत्री के खास लोग काबिज हैं। आरोप यह भी लगता रहा है कि दूसरे राज्यों से खोज-खोजकर कुर्मी अधिकारियों के बिहार लाया गया।

भाजपा विधायक ने कराया मधुबनी जनसंहार : राजद

नौ महीना पहले दीपक मिश्रा की द प्रिंट में छपी रिपोर्ट काफी कुछ कहती है। विकास पुरुष नीतीश कुमार ने किस प्रकार अपनी जाति के लोगों को प्रशासन और राजनीति में भरा शीर्षक रिपोर्ट में बताया गया है कि दूसरे प्रदेशों से कुर्मी आईएएस अधिकारियों को बिहार लाया गया। इनमें जीतेंद्र कुमार मणिपुर- त्रिपुरा के आईएएस कैडर हैं। मनीष वर्मा और संजय सिंह ओडिशा कैडर के आईएएस हैं। इन्हें पटना जिले जैसे सबसे महत्वपूर्ण जिले का डीएम बनाया गया। बाद में कुमार रवि पटना के डीएम बने थे, वे भी इसी जाति के हैं।

द प्रिंट के अनुसार राज्य के प्रशासन को संचालित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले सीएमओ में मनीष वर्मा और अनुपम कुमार दोनों कुर्मी जाति के ही आईएएस अधिकारी हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तब रजानीति के एक धुरी बने, जब 1994 में कुर्मी चेतना रैली हुई। इस समय तक नीतीश कुमार लालू प्रसाद के साथ ही थे। जब वे 2005 में मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने कुर्मी जाति के आईएएस के डी सिन्हा को प्रोमोशन नहीं दिया था, क्योंकि तब डीजीपी के पद पर आशीष रंजन सिन्हा थे। वे भी कुर्मी ही थे। नीतीश ने तब केडी सिन्हा को मुख्य सचिव शायद यह सोच कर न बनाया हो कि इससे गलत संदेश जाएगा। लेकिन बाद के दिनों में दूसरे प्रदेशों से भी कुर्मी आईएएस अधिकारियों को बिहार लाया गया।

इधर राजद ने मधुबनी कांड के बाद आरोप लगाया है कि मधुबनी के एसपी कुर्मी जाति के हैं और वे दोषियों को बचा रहे हैं।

राजनीति में कुर्मी जाति के किसी नेता को नीतीश ने आगे नहीं बढ़ने दिया। आरसीपी सिंह अपवाद हैं। वे उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस थे। उन्हें नीतीश ने बिहार लाया और प्रमुख सचिव बनाया गया। बाद में उन्हें राज्यसभा भेजा गया। और पहली बार किसी कुर्मी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। आरसीपी सिंह भी नालंदा के ही रहनेवाले हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री के सबसे करीब रहनेवाले विधानपार्षद हैं संजय गांधी। वे भी कुर्मी हैं। श्रवण कुमार राज्य सरकार में मंत्री हैं, वे भी कुर्मी हैं और नालंदा के ही रहनेवाले हैं।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427