राजद ने युवा आंदोलन के लिए 23 मार्च का दिन ही क्यों चुना
23 मार्च, 1931 को भगत सिंह को लाहौर में फांसी दी गई थी। उन्हें शहीद-ए-आजम कहा जाता है। आजम मतलब ग्रेट। राजद ने इसी दिन विधानसभा घेराव क्यों तय किया?
कुमार अनिल
भगत सिंह के शहादत दिवस पर कल देश में दो बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान आंदोलन सबसे मुखर है। कल भगत सिंह के शहादत दिवस पर युवा किसानों का जुटान होगा। इधर, बिहार में राजद ने कल बेरोजगारी, महंगाई के खिलाफ विधानसभा घेराव करने की घोषणा की है। खुद तेजस्वी ने भी युवाओं से अपील की है। वे खुद युवाओं का नेतृत्व करेंगे। सवाल है कि राजद ने इतने बड़े कार्यक्रम के लिए भगत सिंह के शहादत दिवस को क्यों चुना?
आम तौर से भगत सिंह का शहादत दिवस कम्युनिस्ट पार्टियां और उनसे जुड़े युवा मानते रहे हैं। राजद के पोस्टरों में अमूमन आंबेडकर, लोहिया, जेपी रहते हैं। इसका अर्थ ये नहीं कि राजद भगत सिंह को याद नहीं करता है। सवाल है कि इस बार इतना बड़ा कार्यक्रम भगत सिंह के शहादत जिवस पर क्यों? इसके जरिये वह क्या संदेश देना चाहता है, खुद तेजस्वी क्या संदेश देना चाहते हैं?
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भगत सिंह के शहादत दिवस पर युवा राजद के इतने बड़े कार्यक्रम और खुद तेजस्वी का नेतृत्व करना दो अर्थों में महत्वपूर्ण है। आपको याद होगा पिछले साल विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ने अपने लिए एक नई राह बनाई थी। उन्होंने पूरे चुनाव अभियान में बार-बार कहा कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे। अगड़ा-पिछड़ा सबकी आवाज बनेंगे। इसके लिए उन्होंने मुद्दे भी चुने, जो किसी खास वर्ग के नहीं, बल्कि बिहार के मुद्दे थे।
चुनाव में उन्होंने राजद को एक नया स्वरूप, नई अंतर्वस्तु दी। यह सोशल जस्टिस की लड़ाई को बदलते समय के अनुसार नई ऊंचाई देना था। अब वे पार्टी को भगत सिंह के करीब ले जाना चाहते हैं। भगत सिंह मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारों से प्रभावित थे। सोवियत रूस की क्रांति से प्रभावित थे। खुद उनके प्रयास से ही उनके संगठन में सोशलिस्ट शब्द जोड़ा गया था। हिंदुस्तानी सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन।
तो तेजस्वी ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जो नया वैचारिक आधार देने की कोशिश की, 23 मार्च उसका विस्तार है। आज जब केंद्र की भाजपा सरकार रेल, एयर पोर्ट, एलआईसी, बैंक सबकुछ बेच रही है, तब तेजस्वी पार्टी को निजीकरण की इस अंधी दौड़ के खिलाफ समाजवादी झुकाव देना चाहते हैं।
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भगत सिंह को सामने रखकर राजद भाजपा-आरएसएस के खिलाफ भी वैचारिक लड़ाई को नया मजबूत आधार देना चाहता है। भगत सिंह वर्ग संघर्ष के हिमायती थे। वे धर्म के आधार पर समाज को बांटनेवाली राजनीति के सख्त खिलाफ थे। राजद ने 23 मार्च का दिन तय करके संघ-भाजपा से वैचारिक संघर्ष का भी नया मोर्चा खोल दिया है।
उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने भी 23 मार्च को भगत सिंह का शहादत दिवस मनाने का एलान किया है। भगत सिंह किसानों के जीवन में बदलाव चाहते थे। भगत सिंह सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी से ही देश को मुक्त करना नहीं चाहते थे, बल्कि चाहते थे कि देश से शोषण की व्यवस्था का खात्मा हो। वे काले अंग्रेजों के भी उतने ही खिलाफ थे।