भारतीय जनता पार्टी के साथ जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के गठबंधन वाली नीतीश सरकार के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समेत 19 संगठनों की जांच के आदेश का खुलासा होने से बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है।
बिहार में विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक ने सभी जिले में विशेष शाखा के पुलिस उपाधीक्षक एवं पदाधिकारियों को इस वर्ष 28 मई को लिखे पत्र में आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद्, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण समन्वय समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गावाहिनी, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी संघ, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू पुत्र संगठन के पदधारकों के बारे में सभी जानकारी की रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर भेजने का निर्देश दिया है।
इस निर्देश के खुलासे के बाद से राज्य में सियासी भूचाल आ गया है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू के नेता जवाब देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं वहीं भाजपा नेताओं ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है। दूसरी ओर महागठबंधन के घटक कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने नीतीश सरकार की इस कार्रवाई का स्वागत किया है।
भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार के आरएसएस और उससे जुड़े लोगों के बारे में जानकारी जुटाने का आदेश नैतिक रूप से गलत है। भाजपा विधायक संजय सरावगी ने सरकार की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुये कहा कि आरएसएस एक राष्ट्रभक्त संगठन है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि सरकार ऐसी जांच क्यों करा रही, अब तो इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही पत्र लिखने वाले अधिकारी की भी जांच होनी चाहिए। इस तरह पत्र जारी करना सही नहीं है।