आरएसएस के खिलाफ बार-बार अभियान क्यों चला रहे किसान
आज फिर संयुक्त किसान मोर्चा ने आरएसएस के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। आज किसानों ने ट्रेंड कराया एंटी फार्मर आरएसएस #Anti_Farmer_RSS।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में आंदोलन कर रहे किसान सोशल मीडिया पर रोज एक अभियान चलाते हैं। आज फिर उन्होंने आरएसएस के खिलाफ अभियान चलाया- एंटी फार्मर आरएसएस। आखिर बार-बार संघ के खिलाफ अभियान क्यों चला रहे हैं किसान किसान?
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दरअसल किसान सिर्फ तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ही आंदोलन नहीं चला रहे, बल्कि वे देश में धर्म के आधार पर लोगों को बांटने, समाज में धर्म के नाम पर घृणा फैलाने का विरोध कर रहे हैं। ऐसा विरोध उनकी आंदोलन की जरूरत से पैदा हुआ हुआ है। किसानों को खालिस्तानी, देशविरोधी, कभी जाट और गैर जाट के नाम पर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की गई।
किसानों का मानना है कि उन्हें अपमानित करने, बदनाम करने में संघ और भाजपा की ही भूमिका रही है। वे जानते हैं कि सभी धर्म के किसानों, सभी जाति के किसानों की एकता के बल पर ही वे खेती-जमीन को कॉरपोरेट के हाथों जाने से बचा सकते हैं।
आज किसानों ने एंटी फार्मर आरएसएस के लिए एक पोस्टर जारी किया। पोस्टर में पांच बिंदुओं से समझाया गया है कि किस प्रकार आरएसएस किसान विरोधी संगठन है। ये पांच बिंदु हैं-आरएसएस ने किसानों को अपमानित किया, आरएसएस ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपा, आरएसएस पूंजीपतियों का समर्थक है, आरएसएस हिंसा का समर्थक है और आरेसएस किसान विरोधी है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का किसान विरोधी, पूंजीवादी नीतियों का समर्थन चिंता का विषय है। बेहतर राष्ट्र निर्माण का सपना किसानों, मजदूरो, युवाओं, दलितों, बुनकरों के बिना सम्भव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि कानून से पहले देश में बड़े-बड़े गोदाम बना दिए गए। देश में भाजपा की सरकार भले ही हो, मगर कंपनियां राज कर रही हैं। जब किसान से आलू खरीदा जाता है तो दो रुपये किलाे की दर से और बाद में उसकी कीमत 40 रुपये किलो हो जाती है।