इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

रुपौली विधानसभा उप चुनाव में भाजपा तथा चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के साथ विश्वासघात कर दिया। इसी कारण उप चुनाव में जदयू को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। मंच पर तो एनडीए के नेता जदयू के पक्ष में बोल रहे थे, लेकिन दोनों के जनाधार ने निर्दलीय शंकर सिंह को समर्थन दिया। शंकर सिंह ने 8, 211 वोट से जदयू के कलाधर मंडल को हरा दिया। राजद की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं। रुपौली चुनाव से एनडीए के भीतर की लड़ाई सतह पर आ गई है।

जदयू के मंत्री मदन सहनी ने कहा कि उन्हें आभास हो गया था कि शंकर सिंह चुनाव जीतेंगे। वे भाजपा में शामिल होने के नाम पर वोट मांग रहे थे। उधर, राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि रुपौली में भाजपा और चिराग पासवान ने नीतीश कुमार तथा अतिपिछड़े नेताओं के साथ धोखा किया है। मालूम हो कि जदयू के कलाधर मंडल तथा राजद की बीमा भारती दोनों अतिपिछड़े वर्ग के नेता हैं।

भाजपा का पुराना इतिहास रहा है कि वह जिसके साथ गठजोड़ करती है, उसे ही धीरे-धीरे खा जाती है। 2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चिराग पासवान को सामने करके नीतीश कुमार की पार्टी को 30 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी पहले नंबर से तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी कह चुके हैं कि क्षेत्रीय दल धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे। 2020 की तरह एक बार फिर भाजपा तथा चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को गच्चा दे दिया। लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करके नीतीश कुमार ने जो प्रतिष्ठा बनाई थी, वह रुपौली में खत्म हो गई।

कौन हैं शंकर सिंह

रुपौली उप चुनाव से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले शंकर सिंह राजपूत जाति से आते हैं। 2005 विधानसभा चुनाव में उन्होंने रुपौली से लोजपा प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी, लेकिन उसी साल नवंबर में हुए चुनाव में वे जदयू की बीमा भारती से हार गए। उसके बाद पांच बार से बीमा भारती ही चुनाव जीत रही थीं। शंकर सिंह राजपूतों के संगठन उत्तर बिहार मुक्ति सेना के कमांडर रहे हैं। वर्ष 2000 इसका गठन पप्पू यादव के प्रभाव को खत्म करने के लिए किया गया था। तब इसके कमांडर बूटन सिंह हुआ करते थे। बाद में उनकी हत्या हो गई। उसके बाद मुक्ति सेना का नेतृत्व शंकर सिंह के हाथ में आया। तब से वे राजपूतों के संगठन का नेतृत्व करते रहे हैं। इस बार शंकर सिंह को राजपूतों के साथ ही भाजपा तथा चिराग पासवान का साथ मिला।

राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि दो अतिपिछड़े नेताओं को भाजपा ने हराने में विशेष भूमिका निभाई। अब शंकर सिंह भाजपा में शामिल हो जाएं, तो आश्चर्य नहीं।

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शंकर सिंह की जीत से जदयू का भाजपा और चिराग पासवान का रिश्ता खटास से भर गया है। जदयू को मालूम हो गया है कि 2020 की तरह फिर उसके साथ धोखा किया गया है। भाजपा से मिला विश्वासघात तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार को फिर से नजदीक ला सकता है। ऐसा हुआ, तो 2025 चुनाव में भाजपा और चिराग पासवान का सूपड़ा साफ हो सकता है।

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By Editor


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