रूसी हमले में यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र की मौत
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को जल्द निकालने के बदले हम उन्हीं पर दोषारोपण करने में लगे हैं कि छात्रों ने एडवाइजरी नहीं मानी। अब आई पहली मौत की खबर।
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र नवीन की मौत हो गई है। वह रूसी गोलाबारी का शिकार हुआ। जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी ने कहा-यूक्रेन के खारकीव शहर में आज सुबह भारतीय छात्र नवीन की रूसी गोलीबारी में मौत हो गई। वे वहाँ मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे। जिन पर हमारे नागरिकों-विद्यार्थियों को सुरक्षित निकाल लाने का ज़िम्मा है, वे कहाँ हैं और अब क्या कहते हैं?
दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यहां के छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने छोटे-छोटे देश में जाते हैं। इससे देश का करोड़ों रुपया भी विदेश जाता है। सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक लगातार कह रहे हैं कि छात्रों ने भारत सरकार की एडवाइजरी नहीं मानी। उन्हें पहले ही कहा जा रहा था कि हालात खराब हो रहे हैं, इसलिए यूक्रेन छोड़ दें। यही सवाल सरकार से भी पूछा जा सकता है कि जब मालूम था कि हालात खराब हो रहे हैं, तो भारतीयों को निकालने की उसने क्या योजना बनाई?
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की बात गौर करने लायक है। उन्होंने कहा- भारत ने अपने नागरिकों को इस प्रकार बेसहारा कभी नहीं छोड़ा। हमेशा युद्ध क्षेत्र से अपने लोगों को बाहर निकाला। 1991 में गल्फ वार के दौरान कुवैत से डेढ़ लाख बारतीयों को सुरक्षिकतभारत लाया गया था। 2006 में लेबनान से 2300 लोगों को सुरक्षित वापस लाया गया था। 2011 में लिबिया से 15 हजार लोगों को सुरक्षित वापस लाया गया था। प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वे भारतीयों को वहां से निकालें, न कि सिर्फ प्रचार (पीआर) में मशगूल रहें।
जब रूसी हमले में बारतीय छात्र की मौत आ चुकी थी, तब भी भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भोज में सुस्वादु भोजन करते अपनी तस्वीर ट्वीट कर रहे थे। ओम थानवी ने लिखा- चुनाव प्रचार के बीच “सुस्वादु” और सुसज्जित महाभोज की तसवीरों के साथ भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा का यह ट्वीट दोपहर का है, जब सारा देश सुबह रूसी हमले में यूक्रेन में मारे गए भारतीय मेडिकल छात्र के लिए शोकाकुल है।
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