SaatRang : हैप्पीनेस में फिनलैंड 1st, भारत 136 वां, क्या करें?

हैप्पीनेस रिपोर्ट-22 में फिनलैंड फर्स्ट। 146 देशों में भारत 136 वें पर। हम दुनिया के 11 सबसे उदास देशों में एक। आइए, किसी के चेहरे पर मुस्कान लाएं।

पटना के कुम्हरार स्थित नेत्रहीन बालिका विद्यालय में वर्षों से मनोज जैन के नेतृत्व में जैन समाज के लोग हर रविवार यहां आकर खुशियां बांटते हैं।

कुमार अनिल

तीन दिन पहले वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट आई, पर अधिकतर हिंदी अखबारों ने कोई जगह नहीं दी। फिनलैंड फिर एक बार पहले स्थान पर है। ब्रिटेन 17 वें और अमेरिका 19 वें स्थान पर है। अंग्रेजी अखबारों में यह खबर आई, पर इस बात पर कहीं चर्चा नहीं है कि आखिर भारत इतना नीचे क्यों? कुछ लोग इस सवाल पर विचार ही नहीं करना चाहते। वे कह देते हैं कि भारत बहुत बड़ा देश और बड़ी आबादी वाला देश है। लेकिन अगर ज्यादा आबादी ही कारण है, तो चीन हमसे बहुत ऊपर 82 वें स्थान पर क्यों है? सोशल मीडिया में आजकल धार्मिक नफरत की आंधी चल रही है। एक ने लिखा कि फिनलैंड में मुस्लिम आबादी नहीं है, इसीलिए वह फर्स्ट है और भारत में यह आबादी ज्यादा है, इसलिए देश नीचे है। तब सवाल है कि सऊदी अरब 26 वें और यूएई 25 वें स्थान पर क्यों है? बहरीन तो उससे भी ऊपर 22 वें स्थान है। यहां तक कि बांग्लादेश भी हमसे ज्यादा खुश देश है। वह 99 वें स्थान पर है। पाकिस्तान 103 वें स्थान पर है।

हैप्पीनेस रिपोर्ट विकास के संपूर्ण आयामों का निचोड़ या परिणाम कह सकते हैं। भारत में लंबे-लंबे फोर लेन, फ्लाई ओवर बन रहे हैं। बुलेट ट्रेन पर काम चल रहा है। ऊंची, और ऊंची प्रतिमाएं बन रही हैं। पूजा और प्रार्थना घरों में भी लगातार भीड़ बढ़ रही है। इतना कुछ होने के बाद भी भारत खुशहाल देशों की सूची में पहले 25-50 देशों में भी नहीं, सौ देशों में भी नहीं, एकदम 136 वें स्थान पर क्यों ? भारत से नीचे सिर्फ 10 देश हैं, जो अधिकतर अफ्रीकी हैं। आप इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि भारत दुनिया के 11 सबसे उदास देशों में एक है।

भारत के इतना नीचे रहने की वजह आर्थिक और राजनीतिक भी है, लेकिन हम यहां एक दूसरे पहलू पर चर्चा करेंगे। वह है समुदाय का बोध कि हम सभी भारतवासी एक परिवार की तरह हैं। कोई कठिनाई में है, तो उसे मदद के लिए हाथ बढ़ाना ही समुदाय का बोध होना है।

भारत में अनेक संगठन हैं, अनेक व्यक्ति हैं, जो कोविड काल में भी दूसरों की मदद करते रहे। आम दिनों में गरीब बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य की चिंता करनेवाले भी अनेक लोग हैं, लेकिन वह आबादी के हिसाब से बहुत कम है। बिहार की आबादी लगभग दस करोड़ है, इनमें लगभग तीन करोड़ बेहद गरीब हैं। इस वर्ग के बीमार लोगों की सेवा करनेवालों की गिनती करें, तो उंगलियों पर गिन सकते हैं। राजगीर में वीरायतन का आंख अस्पताल पहले नंबर पर है। जहां लाखों गरीबों की आंखों की मुप्त ऑपरेशन किया जा चुका है। यही नहीं , वीरायतन परिवार ऑपरेशन के बाद घर जाते समय मरीजों को कुछ प्यार भरे गिफ्ट भी देता है। वीरायतन का नारा है -कंपैशन इन एक्शन अर्थात करुणा की बहती धारा।

पटना में ऐसे कई ग्रुप हैं, जो लोगों की मदद करते हैं। पिछले दिनों मां वैष्णो देवी सेवा समिति ने राज्य का पहला गैर व्यावसायिक ब्लड बैंक खोला है। पटना सिटी स्थित प्राचीन दादाबाड़ी जैन मंदिर में दशकों से मुफ्त क्लिनिक चल रहा है। लेकिन यह बहुत कम है।

पड़ोसी से लेकर हर देशवासी के प्रति करुणा का भाव, मैत्री का भाव, मदद के लिए हाथ बढ़े, यह सब कुछ संगठनों का काम मान लेने के बजाय इन्हें हमारी जीवनशैली का अहम हिस्सा बनाने की कोशिश करें। किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करें।

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By Editor


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