SaatRang : नफरत की आंधी में मैत्री की दीया जलातीं अकेली संत

भगवान महावीर का मैत्री शब्द सुनने में साधारण, लेकिन है असाधारण। विश्वास न हो तो प्रयोग करके देख लें। जैन आचार्यश्री चंदना जी रोज मैत्री का दीया जला रही हैं।

कुमार अनिल

यह दौर ‘घर में घुसकर मारेंगे’ पर ताली बजाने वाला है, दूसरे धर्म को गाली दीजिए, लोग वाह-वाह करेंगे। इसके विपरीत अगर आपने प्रेम और मैत्री की बात की, तो तुरत लोग शक की निगाह से देखने लगते हैं। दूर देश से मैत्री की बात तो चल सकती है, पर पड़ोसी देश से मैत्री की बात की, तो देशद्रोही कहे जा सकते हैं। चारों तरफ नफरत की आंधी बह रही है, लेकिन इस दौर में देश में अकेली जैन आचार्यश्री चंदना जी रोज ही मैत्री का दीया जलाती हैं।

बिहार के राजगीर में 50 एकड़ में फैला वीरायतन है। ठीक पहाड़ की तलहटी में। यहां पहुंचकर आप बहुत सुकून महसूस करेंगे। यहां वीरायतन म्यूजियम है, भगवान महावीर का सुंदर मंदिर है, इसी कैंपस में वीरायतन का प्रसिद्ध आंख अस्पताल है, जहां रोज सैकड़ों लोगों की आंखों का मुफ्त इलाज होता है, चारों तरफ पेड़-पौधे और क्यारियों में खिले फूल। बीच-बीच में घास के मैदान।

यहीं रहती हैं जैन धर्म की पहली महिला आचार्य- आचार्यश्री चंदना जी। उम्र करीब 90 वर्ष। वे रोज ही यहां आनेवालों से मिलती हैं। इन पंक्तियों के लेखक को कल आचार्यश्री से मिलने का मौका मिला। उस समय वे युवकों की एक टोली से बात कर रही थीं।

आचार्यश्री चंदना जी ने युवकों से पूछा कि सबसे ताकतवर युवा कहां रहते हैं। एक युवा ने कहा कि भारत। आचार्यश्री ने बताया कि सबसे ताकतवर युवा सीमाओं पर रहता हैं। क्यों रहता है? एक युवा ने कहा-देश की रक्षा के लिए। देश है, तो हम हैं। आचार्यश्री बड़े ही प्यार से बहुत ही गंभीर बात कहती हैं। कहती हैं-सीमा पर युवा इसलिए हैं क्योंकि पड़ेसी से दुश्मनी है। सोचिए अगर पड़ोसी से दुश्मनी न हो, तब क्या होगा? फिर वे बताती हैं कि हमारा देश वसुधैव कुटुंबकम की धारणा पर चलता रहा है। जहां रहिए सबसे मैत्री रखिए। हर जीव, हर इंसान से मैत्री रखिए।

एक दूसरा ग्रुप आचार्यश्री को देखकर आता है। सभी पैर छूकर प्रणाम करते हैं। एक महिला अपने युवा बेटे की तरफ इशारा करके बताती है कि इसकी नौकरी नहीं लग रही है। इसे आशीर्वाद दीजिए।

इन पंक्तियों के लेखक के दिमाग में तुरत कौतूहल हुआ कि आचार्यश्री क्या आशीर्वाद देंगी। दो-चार सेकेंड के बाद ही आचार्यश्री ने जो कहा वह चौंकानेवाला था। उन्होंने कहा कि आप जो कर सकते हैं, उसे शुरू करिए। छोटे से ही शुरुआत करिए। फिर रास्ता निकलता जाएगा।

अमूमन ऐसे वक्त में कोई तथाकथित साधु-संत, कथावाचक रास्ता बताते हैं कि शनिवार को काला वस्त्र दान करो या फलां दिन फला पेड़ को पानी दो, पांच ब्राह्मण को भोजन कराओ आदि-आदि। लेकिन आचार्य श्री ने कहा कि आजकल नौकरी मुश्किल है, आप अपना रोजगार शुरू करें, भले ही वह छोटा हो।

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