SaatRang : रमजान पर नफरती मैसेज, विरोध पर किया डिलिट

रमजान शुरू होते ही वाट्सएप यूनिवर्सिटी में नफरती मैसेज आने लगे हैं। आज एक वाट्सएप ग्रुप में ऐसा ही मैसेज आया। विरोध जताने पर एडमिन ने डिलिट करवाया।

आज एक वाट्सएप ग्रुप में एक खास धर्म के खिलाफ घोर नफरत भरे मैसेज आए। जब आदमी को लगता है कि जहर ‘दूसरे’ के लिए फैलाए गए हैं, तो लोग यह सोचकर चुप रह जाते हैं कि इससे वे नहीं मरेंगे। लेकिन यह भूल है। ये चुप्पी वर्तमान को तो बर्बाद करेगी ही, भविष्य को भी कहीं का नहीं छोड़ेगी। विरोध करने का असर पड़ता है। आज ऐसे ही एक मैसेज का विरोध करने पर एडमिन ने न सिर्फ डिलिट करवाया, बल्कि हिदायत दी कि किसी भी धर्म के खिलाफ नफरत, हिंसा की बात शेयर नहीं करें। उन्होंने यह भी लिखा कि सभी धर्मों में प्रेम, भाईचारा बढ़ानेवाले मैसेज ही शेयर करें। दुनिया में हैप्पीनेस लानेवाले मैसेज ही शेयर करें।

नफरती मैसेज को यहां फिर से लिखने का कोई औचित्य नहीं है। हां, विरोध किस प्रकार किया गया, इसे जानने में हर्ज नहीं। लिखा गया- नफरत से भरे मैसेज भेजनेवाले इस ग्रुप को विषाक्त कर रहे हैं। इन्हें ग्रुप से बाहर करें। एक हफ्ते बाद हम भगवान महावीर की जयंती मनाएंगे। इन नफरतियों के कारण ही भारत में महावीर और बुद्ध और हमारे ऋषि, कबीर-नानक जैसे संत के विचार कमजोर हो रहे हैं। आज विश्व को हिंसा, युद्ध, नफरत नहीं चाहिए। इसके बाद एडमिन ने कार्रवाई की, हिदायत भी दी।

आज दो अच्छी बातों का जिक्र भी जरूरी है। पटना पंजाबी बिरादरी के पूर्व अध्यक्ष सरदार गुरुदयाल सिंह ने रमजान पर जबरदस्त बात कही। कई लोग किसी संस्थान में रमजान के दौरान नमाज के लिए काम छोड़कर जाने से नाराजगी जताते हैं। सरदार गुरुदयाल सिंह ने कहा कि कोई मुस्लिम भाई आपके यहां आठ घंटे काम करता है। इसी बीच वह नमाज के लिए काम से अलग होता है, तो उसके पुण्य का कुछ हिस्सा आपको भी मिलेगा। आपके आठ घंटे में ही उसने नमाज अता की, तो पुण्य का एक हिस्सा आपको भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक होने का मतलब ही है कि आप सबके कल्याण की कामना करें। सभी खुश रहें। भाईचारा बढ़े। इसी से समाज-देश-दुनिया में खुशहाली आएगी।

सरदार गुरुदयाल सिंह ने कहा कि गुरुद्वारे में धर्म नहीं पूछा जाता, वहां सबके आने की छूट है। वहां सिख ही नहीं, हिंदू और मुस्लिम भी रोज बड़ी संख्या में जाते हैं।

ऊपर जो आप तस्वीर देख रहे हैं वह पटना सिटी के प्राचीन जैन मंदिर दादाबाड़ी का है। जो बच्चे दिख रहे हैं, वे जैन परिवार के बच्चे नहीं, बल्कि मुहल्ले के हिंदू परिवारों के हैं। यहां बच्चों को देख पटना जैन संघ के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने सबको पास बुलाया। दादाबाड़ी में चारों तरफ फूल, बगीचे और घास हैं। यहां बच्चे खेलने आते हैं। इन्हें खेलने से रोकने के बजाय प्रदीप जैन ने सबसे प्रेम से बात की। भगवान महावीर की अहिंसा, करुणा के बारे में बताया। जब उन्होंने पूछा कि किसने स्नान किया है और किसने नहीं। तो तीन बच्चे दौड़कर घर चले गए और कुछ ही मिनटों में स्नान करके भीगे बालों के साथ ही फिर से मंदिर में जारी बातचीत में शामिल हो गए। बच्चों ने खुद ही कहा कि उन्हें भी टीका लगा दीजिए। फिर प्रदीप जैन ने सभी बच्चों को टीका लगाया। प्रसाद भी दिया और कहा कि दादाबाड़ी के फूलों-पौधों से प्यार करिए। जैन मंदिर में पक्षियों के लिए दाना-पानी रखा जाता है। बच्चों से कहा कि आप भी पक्षियों से प्रेम करिए। प्रदीप जैन ने ऐसा रास्ता दिखा दिया कि जो बच्चे पक्षियों से प्रेम करेंगे, वे आदमी से भी प्रेम करना सीख जाएंगे।

प्रदीप जैन ने भगवान महावीर की करुणा, सभी से प्रेम की बातों को ग्रंथ से निकाल कर व्यवहार में लाया। ये बच्चे इस व्यावहारिक करुणा और प्रेम को जीवन में शायद ही कभी भूल पाएं।

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