RJD की राष्ट्रीय बैठक 10 को, इन तीन कारणों बनी बहुत खास
RJD बदल रहा है। अपने कोर वोटर से आगे जाना चाहता है। विधान परिषद की सीटों में प्रत्याशियों का चयन प्रमाण है। इन तीन कारणों से राष्ट्रीय बैठक का महत्व बढ़ा।
कुमार अनिल
राजद की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक तीन दिन बाद 10 फरवरी को पटना में होगी। यह बैठक समय के साथ बदलते राजद के लिए बेहद खास है।
राजद की यह बैठक इन तीन कारणों से बहुत खास हो गई है। पहला, लंबे समय से राजद और कांग्रेस का गठबंधन रहा है। अब अरसे बाद दोनों के रास्ते राज्य की राजनीति में अलग हो रहे हैं। दोनों साथ थे, तब सभी जातियों का एक संतुलन बनता था, अब कांग्रेस से अलग होने पर राजद इस कमी को कैसे पूरा करेगा? दूसरा, क्या राजद जदयू-भाजपा को अलग करने की रणनीति पर काम करेगा और वक्त आने पर नीतीश को समर्थन देगा या नहीं तथा तीसरा, क्या राजद अखिलेश-ममता के साथ नजदीकी बढ़ाएगा और किसी गैर कांग्रेस मोर्चे से जुड़ेगा?
जबसे तेजस्वी यादव राजद की राजनीति के केंद्र में आए हैं, तब से पार्टी में स्पष्ट बदलाव देखा जा सकता है, चाहे वह मुद्दों के चयन का हो या बिहार की सामाजिक स्थिति के मद्देनजर संतुलन बनाने का हो। पार्टी अब भी सामाजिक न्याय पर केंद्रित है, लेकिन वह इसी तक सीमित नहीं है। वह ए टू जेड की पार्टी बनना चाहती है। तेजस्वी ने बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सवालों पर जोर दिया है। इसे भी नए राजद के बतौर देखा जा रहा है।
अब यह लगभग तय हो चुका है कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। पहले कांग्रेस के साथ रहने से गठबंधन सर्व समाज की छवि पेश करता था, अब राजद क्या करेगा? क्या राजद संगठन और चुनाव में सवर्णों को अधिक प्रतिनिधित्व देगा?
इसकी एक झलक विधान परिषद के आगामी चुनाव में टिकटों के बंटवारे में देखा जा सकता है। राजद सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने 24 सीटों में 10 सीटों पर सवर्ण प्रत्याशी दिए हैं। इनमें सबसे ज्यादा भूमिहार को पांच, राजपूत को चार और ब्राह्मण को एक सीट दी गई है। बेतिया, मोतिहारी, पटना, मुंगेर और मुजफ्फरपुर से भूमिहार, गोपालगंज, रोहतास, औरंगाबाद और कोसी से राजपूत तथा सारण से राजद ने ब्राह्मण प्रत्याशी दिए हैं।
राजद की नजर एनडीए में बढ़ते खटास पर भी है। यह देखना होगा कि पार्टी इस बैठक में इस मामले पर क्या रुख लेती है। क्या वह एनडीए खासकर भाजपा और जदयू में बढ़ती दूरी को बढ़ाने की रणनीति पर काम करती है या नीतीश कुमार के प्रति पहले की तरह दूरी बना कर रखेगी।
तीसरी बात भी अहम है। तेजस्वी यादव ममता बनर्जी और अखिलेश यादव के संपर्क में हैं। वे दक्षिण भारत के गैर भाजपा-गैर कांग्रेसी सत्ताधारी दलों के भी संपर्क में हैं। क्या राजद राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस से अलग होकर किसी तीसरे मोर्चे का हमसफर बनेगा।
इस बीच राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बताया कि बैठक की तैयारी के लिए दस कमेटियों का गठन किया गया है। बैठक अमर शहीद जगदेव प्रसाद सभागार ( होटल मौर्या) में होगी, जिसमें देशभर के 250 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सदस्यता अभियान को तेज करने तथा संगठनात्मक चुनाव पर भी चर्चा होगी।
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