बिहार भाजपा अध्यक्ष पद से सम्राट चौधरी की छुट्टी कर दी गई है। नीतीश कुमार को जब तक मुख्यमंत्री पद से हटाएंगे नहीं, तब तक पगड़ी नहीं खोलेंगे की शपथ लेने वाले सम्राट चौधरी नीतीश कुमार को पद से नहीं हटा सके, लेकिन पगड़ी हटानी पड़ी, सिर भी मुड़ाया। इसके बावजूद प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी चली गई। जब नौकरशाही डॉट कॉम ने जदयू के एक प्रदेश नेता से प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो उन्होंने कहा कि इंतजार करिए उप मुख्यमंत्री की कुर्सी भी जाएगी। सवाल है कि सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी क्यों गंवानी पड़ी।
भाजपा समर्थक हास्यास्पद तर्क दे रहे हैं कि भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का नियम है। सम्राट चौधरी की जगह जिन्हें नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, वे हैं दिलीप जायसवाल। वे नीतीश मंत्रिमंडल में भूमि सुधार मंत्री हैं। फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी दो-दो पद पर हैं। केंद्र में मंत्री भी हैं। इसलिए यह तर्क बेकार है कि एक व्य्कित एक पद नियम के तहत सम्राट चौधरी को हटाया गया।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार को मिले पैकेज का हिस्सा है सम्राट चौधरी की कुर्सी का जाना। चौधरी मुख्यमंत्री के बेहद कड़े विरोधी रहे हैं। वे नीतीश के खिलाफ बेहद कड़े शब्दों के लिए जाने जाते हैं। उन्हें 2022 में अध्यक्ष बनाया गया था, तब नीतीश कुमार इंडिया के साथ थे। अब वे एनडीए में हैं और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के लिए प्रमुख बैशाखी भी हैं। ये बैशाखी हट गई, तो मोदी की प्रधानमंत्री की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी।
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इसलिए माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को खुश रखने के लिए सम्राट की कुर्सी छीनी गई। वैसे भी लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोट दिलाने में विफल रहने पर सम्राट कीहैसियत पार्टी में खास नहीं रह गई थी। अब उनकी कोई जरूरत नहीं है। अब जरूरत है जो नीतीश कुमार को प्रसन्न रखे। याद रहे नए प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अपने पहले मीडिया संबोधन में कहा कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। तो ये है सम्राट चौधरी को अध्यक्ष से हटाए जाने की मुख्य वजह।