बिहार के मशहूर सैंड ( Sand Artist Madhurendra) आर्टिस्ट मधुरेन्द्र का कोणार्क महोत्सव में धूम ,विदेशी कलाकार भी हो रहे हैं मुरीद
ओड़िसा में समुन्द्र देव आकृतियां बनी आकर्षण, मधुरेन्द्र ने डॉल्फिन बनाकर दिया जल जीवन का संदेश
शिवानंद गिरि की रिपोर्ट
भुवनेश्वर में आयोजित अंतराष्ट्रीय रेत कला उत्सव में बिहार का सैंड आर्टिस्ट अपनी कला से धूम मचाये हुए है।इसकी कला को देख विदेशी प्रतिभागी व दर्शक हैरत मे हैं।लिहाजा उसे लोगों की ना सिर्फ खूब वाहवही मिल रही है बल्कि आमलोगों का समर्थन भी। जी हाँ! हम बात कर रहे हैं मशहूर सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र की।
पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन बिजबनी गांव के रहनेवाले इस युवा कलाकार ने ओड़िसा के चंद्रभागा समुन्द्र तट पर आयोजित पांच दिवसीय उत्सव के तीसरे दिन जलीय जीवों की रक्षा के लिए बालू पर “सेव मरीन लाइफ” लिख कर पदमश्री सुदर्शन पटनायक का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर लिया। बालू से बनी जल में रहने वाले जीवों की जीवन पर आधारित कलाकृतियां उकेर उनके रक्षा का संदेश भी दे रहीं हैं। यह लोगों को खूब लुभा रहीं हैं। मौके पर उपस्थित आयरलैंड, कनाडा, रसिया, डेनमार्क, टॉगों, व श्रीलंका आदि शार्क देशों के सैंड आर्टिस्ट ने भी मधुरेंद्र की कलाकृति की सराहना की।*
अंतराष्ट्रीय कोणार्क फेस्टिवल अंतर्गत पर्यटन विभाग ओड़िसा सरकार द्वारा आयोजित 1 दिसंबर से शुरू हुए और पांच दिसंबर तक चलने वाले रेतकला उत्सव में रोज नये नये कलाकृति से लोगों मे चर्चा का विषय बने हुए हैं।
।गौरतलब है कि ओड़िसा टूरिज्म के विभाग द्वारा आयोजन 1 से 5 दिसंबर तक चलने वाला कोणार्क रेत कला महोत्सव चंद्रबग्घा बीच पर आयोजित किया गया है जिसमें सार्क देशों भारत, श्रीलंका, यू एस ए, अमेरिका, स्पेन, इटली, कोलंबो, मलेशिया और रूस सहित अन्य देश के 18 से लेकर 80 वर्ष के 100 सैंड आर्टिस्ट भाग ले रहें हैं। वर्ल्ड हेरिटेज, त्योहार, मेला, प्रकृति व पर्यावरण के साथ महान पर्व पर आधारित कला का प्रदर्शन करेंगें। कई देशों के सैंड आर्टिस्ट अपने देशों का प्रतिनिधित्व करेंगें।
कौन है मधुरेन्द्र
पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन बनकटवा प्रखंड क्षेत्र के बिजबनी गांव निवासी शिवकुमार साह व गेना देवी का पुत्र हैं। अपनी कठिन मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के जरिये अपनी मूर्तिकला का पहचान विश्व पटल पर स्थापित की हैं। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध कला एवं शिल्प महाविद्यालय, भोजपुर में वह मूर्तिकला का छात्र भी है।
सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र राज्य और राज्य के बाहर कई मेलों, महोत्सवों व सरकारी आयोजनों में सैंड आर्ट और पेंटिंग के नमूने प्रदर्शित कर चुका है। कला की बदौलत उसे राष्ट्रपति सम्मान, बिहार रत्न, चंपारण गौरव, मगधरत्न, आईकॉन ऑफ पीपुल, आम्रपाली सम्मान, वैशाली गणराज्य सम्मान समेत दर्जनों से ज्यादा कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जिससे विश्व पटल पर बिहार ही नही अपितु अपनी मातृभूमि व हिंदुस्तान का मान-सम्मान बढाया है।
नेपाल के विश्वप्रसिद्ध गढ़ी माई मेले में वह भारत – नेपाल के मैत्री संबंधों पर आधारित बेटी-रोटी नामक कलाकृति प्रस्तुत कर चुके है। सैंड आर्ट में अब तक वह नशा का दुष्प्रभाव, मानव स्वास्थ्य, भारतीय नृत्य, महापुरुषों व देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, नारी उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, गरीबी, मजदूर, शोषण, धूम्रपान, पर्यावरण संरक्षण, बाल विवाह, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा, आतंकवाद, जनसंख्या नियंत्रण, देश विदेश में घटित घटनाओं तथा कई ज्वलंत विषयों पर आधारित कलाकृतियां बना चुका है। इन्होंने अपनी कला से 2012 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, बड़े बड़े राजनीतिक हस्तियों समेत देश के कई वरीय पदाधिकारियों को अपनी कला का लोहा मनवा चुका हैं। वही सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र कुमार को पटना आर्ट कालेज ने 2011 में उसे पुरस्कृत किया था। इसके अलावें 2012 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी इनके कला का सराहना की थी। उत्तरप्रदेश, पंजाब, दिल्ली और बंगाल में भी वह पुरस्कृत हुआ।
उसे बिहार गौरव अवार्ड, बिहार रत्न तथा चंपारण रत्न भी मिल चुका हैं। उसके खाते में कई पुरस्कार हैं। भविष्य में ऊंचाई की सारी संभावनाएं लिए यह कलाकर अपने लक्ष्य की ओर बढता जा रहा है।