संघर्ष का प्रतीक बन चुके Dr Kafeel योगी के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव!

योगी राज में संघर्ष का प्रतीक बन चुके डॉ. कफील खान चुनाव लड़ सकते हैं, वह भी मुख्यमंत्री के खिलाफ गोरखपुर से। क्या अखिलेश देंगे टिकट या प्रियंका आएंगी आगे?

कुमार अनिल

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो साजिश, दबाव और दमन से कमजोर नहीं पड़ते, बल्कि और भी निखर कर सामने आते हैं। ऐसे ही हैं गोरखपुर के डॉ. कफील खान। 2017 में गोरखपुर अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 80 बच्चों की मौत हो गई थी। डॉ. कफील खान पर सरकार ने लापरवाही का आरोप लगाया। उन्हें सस्पेंड किया। लेकिन डॉ. कफील ने लंबी लड़ाई लड़ी। कोर्ट ने उन्हें लापरवाही के आरोप से बरी किया। इसी बीच सीएए विरोधी आंदोलन में उनके भाषण को आधार बनाकर उनपर एनएसए लगाया गया। वे वर्षों तक जेल में रहे। इस संघर्ष ने उनके भीतर की जीवटता को और भी धार दी। आज बच्चों के डॉक्टर कफील को देश जानता है।

अब खबर है कि यूपी विधानसभा चुनाव में डॉ. कफील गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। खुद उन्होंने कहा कि वे भाजपा विरोधी दलों के संपर्क में हैं और चुनाव में मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ उतरने को तैयार हैं।

ज्यादा उम्मीद जताई जा रही है कि डॉ. कफील सपा या कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं। सपा के संभावित उम्मीदवार में भाजपा के दिवंगत नेता उपेंद्र शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला अखिलेश यादव से मिल चुकी हैं। उन्हें ब्राह्मणों के बड़े नेता विनय शंकर तिवारी ने हाल में अखिलेश से मिलवाया था। सपा गोरखपुर के विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को भी टिकट दे सकती है। राधा मोहन अब तक सपा के टिकट पर लड़ने की हामी नहीं भरी है। तो क्या अखिलेश यादव डॉ. कफील को टिकट देंगे। कई जानकार इससे सहमत नहीं हैं। वे शुभावती देवी को टिकट दिए जाने की संभावना ज्यादा देखते हैं।

उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार संघर्ष करनेवाले चेहरों को तवज्जो दे रही हैं। प्रियंका गांधी ने सीएए विरोधी आंदोलन में दमन का शिकार हुईं सदफ जफर को लखनऊ से टिकट दिया। उन्होंने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मां को टिकट दिया है। कई लोग मान रहे हैं कि प्रियंका गांधी डॉ. कफील को टिकट दकेर मैदान में उतार सकती हैं। अगर ऐसा हुआ, तो गोरखपुर का संघर्ष न सिर्फ रोचक, बल्कि कड़ा होगा। हालांकि गोरखपुर में मुस्लिम आबादी बहुत कम है, लेकिन डॉ. कफील को खड़ा करके कांग्रेस पूरे प्रदेश में संदेश देना चाहेगी कि वह भाजपा के खिलाफ संघर्ष करनेवाली पार्टी है। इसका असर दूसरी सीटों पर होगा। मालूम हो कि दलित नेता चंद्रशेखर आजाद यहां से उम्मीदवार बनने का एलान कर चुके हैं।

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