संघियों द्वारा सराही The Kashmir Files VULGAR घोषित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई राज्यों के भाजपाई मुख्यमंत्री और संघ परिवार ने जिस The Kashmir Files की सराहना की, वह PROPAGANDA VULGAR घोषित।
अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल इंडिया (IFFI) ने भारत में बनी The Kashmir Files को प्रोपगंडा वल्गर कहा है अर्थात झूठ प्रचार और असभ्य। इस टिप्पणी के बाद पूरे संघ परिवार में खलबली मच गई। याद रहे द कश्मीर फाइल्स फिल्म की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की थी। भाजपा के कई मुख्यमंत्रियों ने इसे टैक्स फ्री किया था। फिल्म के दौरान भी सिनेमा हॉल में खास समुदाय के खिलाफ उत्तेजक नारे लगे थे। हालांकि यह भी याद रखिए कि इस फिल्म के बाद भी कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई। उनके परिजन महीनों सड़क पर प्रदर्शन करते रहे, लेकिन कश्मीरी पंडितों के नाम पर फिल्म बना कर कमाई करने वाले कोई देखने तक नहीं गए। भाजपा और संघ के नेता भी मिलने नहीं गए।
IFFY द्वारा इस फिल्म को प्रोपगंडा कहे जाने के बाद सोशल मीडिया में यह शब्द वायरल हो गया। इस शब्द का भरपूर इस्तेमाल हिटलर ने किया था। जर्मनी में एक समुदाय के खिलाफ झूछ का प्रचार किया।
IFFI के प्रमुख इजराइली फिल्मकार Nadav Lapid ने कहा-अंतरराष्ट्रीय कंपीटिशन के लिए 15 फ़िल्में थीं। 14 फ़िल्म कला के लिहाज़ से उत्कृष्ट थीं। लेकिन 15वीं फ़िल्म, जो कि #TheKashmirFiles थी-उसे देख कर “पूरी ज्यूरी” विचलित और स्तब्ध थी और “हम सबने” माना कि वो एक PROPAGANDA VULGAR फ़िल्म थी, जिसे IFFI में नहीं होना चाहिए था।
#Breaking: #IFFI Jury says they were “disturbed and shocked” to see #NationalFilmAward winning #KashmirFiles, “a propoganda, vulgar movie” in the competition section of a prestigious festival— organised by the Govt of India.
— Navdeep Yadav (@navdeepyadav321) November 28, 2022
🎤 Over to @vivekagnihotri sir…
@nadavlapi pic.twitter.com/ove4xO8Ftr
इस कड़ी टिप्पणी के बाद भाजपा समर्थक और उस फिल्म से जुड़े लोग बौखला गए हैं। जहां भाजपा समर्थक इफ्फी को वामपंथी बता रहे हैं, वहीं अमुपम खेर ने कहा ने भी नादव लैपिड को टूटकिट गैंग की सदस्य करार दिया।
कई लोग कश्मीर फाइल्स पर टिप्पणी को भारत विरोध बता रहे हैं। इस पर लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि जूरी ने भारत का विरोध नहीं किया है, बल्कि फिल्म का विरोध किया है।200 दिन से कश्मीरी पंडित सड़क पर हैं। जिन्होंने नब्बे में भी घाटी नहीं छोड़ी ऐसे पंडित घाटी छोड़ने पर मज़बूर हुए। PM योजना के लाभार्थियों को घाटी छोड़नी पड़ी और दिवाली तक पर तनख़्वाह नहीं मिली। लेकिन किसी की ज़बान नहीं खुली। नफ़रती का मामला आया तो सारे बिल से निकल आये।
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