संसद में बहस नहीं, प्रेस को प्रवेश नहीं, क्या इमर्जेंसी लग गई?

कई लोग आशंकित हैं कि देश में इमर्जेंसी लग गई है? वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने उठाया सवाल। चीन सीमा में घुसा या नहीं, इस पर संसद में चर्चा की इजाजत नहीं दी।

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कुमार अनिल

कई अखबारों के संपादक रह चुके श्रवण गर्ग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह बिना चर्चा के कृषि कानून बनाया गया और फिर बिना चर्चा के उसे वापस ले लिया गया, संसद की कार्यवाही को कवर करने की प्रेस को इजाजत नहीं दी जा रही है, यह सब चिंताजनक बातें हैं। श्रवण गर्ग यूट्यूब चैनल सत्य हिंदी पर एक चर्चा में अपनी बात रख रहे थे।

वरिष्ठ पत्रकार गर्ग ने एक महत्वपूर्ण बात कही, जिस पर हर संजीदा नागरिक को विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज की दबा रही है। जो सरकार विपक्ष की आवाज दबा सकती है, वह जनता की आवाज पर भी अंकुश लगाएगी और काफी हद तक अंकुश लगा भी दिया गया है। गर्ग की पूरी बात जरूर सुनें।

श्रवण गर्ग ने ट्वीट किया-क्या प्रेस सेन्सरशिप लागू हो गई है ? पी एम की सभाओं में लाखों की भीड़ के लिए हज़ारों सरकारी/ग़ैर-सरकारी बसें जुटाई जातीं हैं।तब कोरोना का ख़तरा नहीं होता!संसद की करवाई को जनता तक पहुँचाने से मीडिया को बाधित करने के लिए कोरोना के ख़तरे का तर्क दिया जाता है ! जनता कब मुँह खोलेगी ?

राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने एक सवाल पूछा था कि क्या चीनी सैनिक लद्दाख में भारतीय सीमा में घुस आए हैं? इस सवाल का जवाब देने से संसद ने इनकार कर दिया। राज्यसभा सचिवालय ने जवाब दिया कि इस सवाल को पूछने की इजाजत नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। स्वामी के ट्वीट पर किसान नेता योगेंद्र यादव ने बस एक शब्द ट्वीट किया-Shocking! (खौफनाक, भयानक)।

युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास ने इन्ही बातों को कुछ दूसरे रूप में कहा। उन्होंने कहा- ये सरकार, Television सरकार है। कानून TV पर बनेंगे, वापिस TV पर होंगे। फिर देश में संसद का क्या महत्व? सोशल मीडिया पर कई लोग देश में भिन्न विचार, विरोधी विचारों के लिए कम होती जगह पर चिंता जता रहे हैं। कई लोगों ने पूछा है कि क्या देश में आपातकाल लग चुका है?

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