नई लोकसभा के शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव हो गया। पहले दिन विपक्ष भारी पड़ा। सारे विपक्षी सांसद संविधान लेकर पहुंचे थे। सदन के बाहर सारे विपक्षी सांसदों ने संविधान की रक्षा के नारे लगाए। भीतर सदन में प्रधानमंत्री मोदी जब संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने पहुंचे, तो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संविधान की प्रति दिखाई। उनके साथ अनेक विपक्षी सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को संविधान की प्रति दिखाई। जब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शपथ लेने पहुंचे, तो सदन में नीट-नीट का नारा गूंजने लगा। इस तरह पहले दिन ही विपक्ष ने बता दिया कि इस बार वे सत्ता की मनमानी का जवाब देने को तैयार हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सदन के बाहर प्रेस को संबोधित करते हुए विपक्ष का नसीहत दी। उनके तवर भी पुराने वाले दिखे। उन्होंने याद दिलाया कि कल 25 जून को देश में पहली बार आपातकाल लगाया गया था। हमें संकल्प लेना हैं कि आगे कोई संविधान का उल्लंघन न कर सके। उन्होंने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि नारे से काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री ने जब प्रेस को संबोधित किया, तब उनके साथ भाजपा के चार मंत्री थे, लेकिन एनडीए के दूसरे कोई मंत्री नहीं थे।
लोकसभा के पहले दिन जिस तरह विपक्षी सांसद संविधान लेकर पहुंचे और प्रधानमंत्री को संविधान दिखाया, वह सोशल मीडिया पर वायरल है। पहले दिन सोशल मीडिया में विपक्ष ही छाया हुआ है। लोग लिख रहे हैं कि विपक्ष ने अपने तेवर दिखा दिए हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री के प्रेस को संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रस्सी जल गई, पर बल नहीं गया। आज पहले दिन देश को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नीट पेपरलीक पर बोलेंगे, मणिपुर पर बोलेंगे, लेकिन वे पहले की तरह मुद्दे से ध्यान भटकाते दिखे। कई लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 50 साल पहले के घोषित आपातकाल की याद दिलाई, लेकिन पिछले दस वर्षों से जो अघोषित आपातकाल चला रहे हैं, उस पर चुप्पी साधे रखी।