सारी फसाद की जड़ नुपूर शर्मा, मीडिया चला रहा एजेंडा : सुप्रीम कोर्ट
आज सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से नफरती गैंग हिल गया है। सोशल मीडिया में नुपूर के समर्थन में कहीं आवाज नहीं दिख रही। कोर्ट ने टीवी चैनलों का भी मुखौटा उतारा।
सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर सहित देशभर में धर्म के नाम पर नफरत और हिंसा के लिए अकेली नुपूर शर्मा को जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट ने कहा कि यही महिला (नुपूर शर्मा) सारी फसाद की जड़ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नुपूर टीवी पर आकर देश से मापी मांगे। कोर्ट की इतनी कड़ी टिप्पणी से नुपूर शर्मा के होश उड़ गए और उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक मानने की अपील को वापस ले लिया।
कोर्ट ने गोदी मीडिया की भी जमकर क्लास लगा दी। कहा कि जब कोर्ट में मामला चल रहा है, तब इस पर चैनलों में इतनी बहस क्यों हो रही है। साफ है कि ये चैलन अपना एजेंडा चला रहे हैं। नुपूर और मीडिया को डांट लगानेवाले जस्टिस सूर्यकांत आज सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहे।
इसी के साथ कई लोगों ने सिर्फ नुपूर को जिम्मेदार ठाहराने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से असहमति भी जाहिर की। पत्रकार ओम थानवी ने कहा-दोष भाजपा की दोहरी नीति का है, कि सरकार की साख बचाने को नूपुर को पार्टी से बाहर किया पर दिल्ली पुलिस से अभयदान दिलवाया; पार्टी के कार्यकर्ताओं और संघ-परिवार ने निलम्बित बड़बोली प्रवक्ता के समर्थन में जुलूस निकाले, मुहिम चलाई।
फिल्मकार विनोद कापरी ने कहा-सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले/टिप्पणी से मैं सहमत नहीं हूँ। सिर्फ़ नुपूर शर्मा को ज़िम्मेदार ठहरा देना एकदम ग़लत है। नुपूर एक बहुत छोटा मोहरा है। सुप्रीम कोर्ट में साहस है तो असली खिलाड़ियों का नाम ले कर और उन्हें फटकार कर दिखाए। सुप्रीम कोर्ट को अगर लगता है कि इस तरह के Balancing act से उसकी साख वापस आ जाएगी तो वो ग़लतफ़हमी में है। सैकड़ों हत्याओं पर आप एकदम मुँह फेर लेते हैं और एक बयान पर छोटे से प्यादे को फटकार लगा कर हैडलाइन बटोरते हैं ? खेल सब समझ आता है मी लॉर्ड !
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