तस्वीरों से दुनिया को झकझोरने वाले जर्नलिस्ट दानिश हुए शहीद
दिल्ली दंगों के खौफनाक मंजर, सीएए विरोधी आंदोलन पर रिवाल्वर तानने वाले और कोविड से हुई मौतों को कैमरे में कैद करनेवाले फोटोग्राफर दानिश नहीं रहे।
Photo Journalism की दुनाया के सितारे, सत्य को सामने लाने के लिए कोई भी खतरा उठाने को तैयार रहनेवाले फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में मौत हो गई।
वे वहां पिछले कई दिनों से सेना के साथ रहते हुए फोटोग्राफी कर रहे थे।
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित रायटर के फोटो जर्नलिस्ट की अफगानिस्तान में मौत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुख जताते हुए बारत सरकार से उनके शव को भारत लाने की मांग की है। दानिश मुंबई में रहते थे।
दानिश पिछले दिनों तब सुर्खियों में आए, जब दिल्ली दंगों की मार्मिक और दल दहला देनेवाली उनकी तस्वीरें दुनिया के सामने आईं।
अफगानिस्तान में तालिबान हमले में शहीद हुए पुलित्जर सम्मान से सम्मानित फोटो जर्नलिस्ट #danishsiddiqui की कुछ गेमचेंजिंग तस्वीरें जिनने कोविड, दिल्ली दंगों और एंटी सीएए प्रोटेस्ट को छुपे पहलुओं को उजागर कर दिया.
आप सीएए विरोधी धरने पर रिवाल्वर तानने वाले उस युवक को नहीं भूले होंगे। वह तस्वीर दानिश की ही थी। आज भी वह सिरफिरा जेल में बंद है। पिछले साल अचानक किए गए लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की पैदल घर वापसी के दौरान दानिश की तस्वीरें हों या कोविड की दूसरी लहर में गंगा
किनारे रेत में दफनाए शवों की तस्वीरें, एक साथ सैकड़ों शवों के जलने की तस्वीर, वे हमेशा सच्चाई को कैमरे के जरिये दुनिया के सामने लाते रहे। उनकी एक-एक तस्वीर हजार-हजार शब्दों से भारी रही हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्तालिन ने कहा- अपने कैमरे से वे महामारी के दर्द, मानवीय संवेदना को सामने लाते रहे। स्तालिन ने कहा, दुनिया से हिंसा खत्म होनी चाहिए।
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अमेरिकी पत्रिका टाइम से जुड़ी राना अयूब ने उनकी मौत पर कहा- दानिश, मेरे सबसे अच्छे सहयोगियों में एक थे। वे सर्वाधिक समर्पित पत्रकारों में एक थे। वे सत्य को कैमरे में कैद करने के लिए कोई बी खतरा उठाने को तैयार रहते थे।