SC ने केंद्र के बंद लिफाफे को किया खारिज, पूरी पारदर्शिता चाहिए
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अडानी मामले में केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। कहा मामले में केंद्र के सुझाव आदि बंद लिफाफे में नहीं चाहिए। पूरी पारदर्शिता हो।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। अडानी मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि उसे केंद्र का बंद लिफाफे में जवाब मंजूर नहीं है। जो भी जवाब हो, उसमें पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के उस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी, जिसमें अडानी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल की कमेटी बनाने की बात थी।
विशेषज्ञों का पैनल अडानी मामले से निवेशकों को नुकसान से बचाने के सझाव देगा। वह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद बाजार में निवेशकों के करोड़ों रुपए डूब गए है। सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने केंद्र के बंद लिफाफे में सिफारिश सौंपने के प्रस्ताव को खारिज किया उसमें मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा तथा जस्टिस जे बी पारदीवाला शामिल थे। बेंच ने कहा कि हम बंद लिफाफा स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम चाहते हैं कि इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई हो।
My proposal to SC for terms of reference for committee to look into Adani scam exposed by Hindenburg. The Govt wants a committee with Home Secy & Director ED! That would not have any credibility& doesn't need the approval of the SC. Court must appt judges of impeccable reputation pic.twitter.com/1tBDwvLGnG
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) February 17, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी मामले में जांच के लिए कमेटी नियुक्त करने के संबंध में भी अपना फैसला सुरक्षित रखा है। बेंच ने यह भी कहा कि वह सरकार या अपीलकर्ता के सुझाव को भी स्वीकार नहीं करेगा कि विशेषज्ञों की कमेटी में किसे रखा जाए और किसे नहीं। कोर्ट ने कहा कि कमेटी में एक्सपर्ट के नामों का चयन वह खुद करेगा। इसका अर्थ है कि अडानी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट खुद अपनी कमेटी तय करेगा।
कोर्ट के फैसले से पहले कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा-PM से जुड़ा अडानी घोटाला भारत में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान शुरू करता है या नहीं, यह पूरी तरह कांग्रेस, विपक्ष व हमारी चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर है। इसका जॉर्ज सोरोस से कोई लेना-देना नहीं है।हमारी नेहरूवादी विरासत सुनिश्चित करती है कि उन जैसे लोग हमारे चुनाव परिणाम तय नहीं कर सकते।
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