महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इसके लिए क्या तर्क दिया
1सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने आरक्षण खारिज करने के जो तथ्य गिनाये हैं उसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदू ये हैं.
2आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने 1992 के इंदिरा साहनी केस में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को खत्म करते हुए कहा कि यह 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का हनन है।
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3जजों की बेंच ने ने 2018 के राज्य सरकार के कानून को भी खारिज कर दिया है।
4फैसला सुनाते हुए जस्टिस भूषण ने कहा कि वह इंदिरा साहनी केस पर दोबारा विचार करने का कोई कारण नहीं समझते। अदालत ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकारों की ओर से रिजर्वेशन की 50 पर्सेंट लिमिट को नहीं तोड़ा जा सकता।
5 जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने केस की सुनवाई करते हुए कहा अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि कैसे मराठा समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा है।
गौरतलब है कि 1992 में 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा तय की थी।