SC ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार, न्यूज चैनल से प्रतिबंध हटाया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आप नागरिक अधिकार खत्म नहीं कर सकते। पत्रकार सत्ता के सामने सच बोलें। न्यूज चैनल से प्रतिबंध भी हटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जो कहा वह इतिहास में दर्ज हो गया है। सीएए विरोधी आंदोलन को कवर करने के नाम पर किसी मीडिया चैनल का प्रसारण बंद नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया वन चैनल के प्रसारण लगी रोक को भी समाप्त कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह चार हफ्ते के भीतर मीडिया वन का लाइसेंस नवीकृत करे।
केरल के मलयालम व्यूज चैनल मीडिया वन को गृह मंत्रालय ने क्लियरेंस नहीं दिया था। कहा था कि इस मीडिया समूह का संबंध जमात-ए-इस्लामी से है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि राज्य (सत्ता) राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिक स्वतंत्रता खत्म नहीं कर सकता। अगर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, तो ठोस तथ्य प्रस्तुत करें। राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा आप हवा में नहीं कह सकते। ठोस आधार होना चाहिए। कोर्ट ने पत्रकाराों से कहा कि उनका कर्तव्य है कि वे सत्ता के सामने सत्य को सामने लाएं।
कोर्ट बंद लिफाफे में जवाब लेने से इनकार करते हुए कहा कि यह तरीका प्राकृतिक न्याय और खुले न्या के सिद्धांत के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता को तभी सीमित किया जा सकता है, जब वह संविधान के आर्टिकल 19(2) के तहत आता हो। इस आर्टिकल के अनुसार प्रतिबंध की इजाजत तभी है, जब भारत की एकता और अखंडता पर हमला हो, मित्र देशों से संबंध खराब किया जाए, नागरिक व्यवस्था पर हमला हो। कोर्ट ने कहा कि सरकार की नीतियों की आलोचना को सत्ता प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं कह सकते।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने कहा कि यह केंद्र की मोदी सरकार पर करारा तमाचा है। कांग्रेस की अलका लांबा ने कहा-माननीय सुप्रीम कोर्ट का एक और ज़ोरदार तमाचा केंद्र की भाजपा सरकार के मुँह पर।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 14 दलों द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया है। इन दलों ने केंद्रीय एजेंसियों के लिए गाइडलाइन तय करने की अपील की थी।
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