RJD नेता शहाबुद्दीन की मौत क्यों घंटों बनी रही पहेली

राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद और राबड़ी सरकार के संकटमोचक शहाबुद्दीन की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हो गयी. उन्होंने दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में अंतिम सांस ली.

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Irshadul Haque, Editor naukarshahi.com

लेकिन मीडिया जगत में यह हल चल घंटों कायम रही कि जेल प्रशासन उनकी मौत की पुष्टि क्यों नहीं कर रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सुबह ही यह खबर चला दी कि शहाबुद्दीन का निधन हो गया. लेकिन तिहाड़ जेल, जहां शहाबुद्दीन बंद थे, के डीडी ने एक बयान जारी कर उनकी मौत का खंडन कर दिया. मजबूरन एएनाई को अपनी खबर हटानी पड़ी और उसे उसके लिए खेद व्यक्त करना पड़ा. लेकिन तथ्यों और घटनाक्रम पर गौर करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि शहाबुद्दीन की मौत की खबर को कई घंटों तक दबाया जाता रहा.

शहाबुद्दीन आखिरी लम्हा

आप को याद दिला दें कि पिछले दिनों यह खबर आयी थी कि शहाबुद्दीन को कोरोना संक्रमण है और उन्हें बेहतर उपचार के लिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल ले जाया गया है. उनका आक्सिजन लेवल काफी कम था.

पूर्व सांसद शहाबुद्दीन नहीं रहे, शोक में डूबा राजद

ऐसे समय में जब सारा देश अस्पताल में बड़ के लिए तडप रहा था, आक्सिजन के लिए त्राहिमाम मची हुई है, वेंटिलेटर की कमी से हजारों लोग जूझ रहे हैं. तो सवाल यह खड़ा होता है कि क्या शहाबुद्दीन भी आवश्यक मेडिकल सुविधाओं की कमी के शिकार तो नहीं हो गये?

नई पीढ़ी क्या जाने!! हकीकत है कि #Shahabuddin @RJDforIndia के संकट मोचक बनके हमेशा काम तो आते रहे। राजद की सरकार पर जब भी घनघोर बदल छाया उन्होंने अपना कंधा लगा कर बचाया। शहाबुद्दीन होने का मतलब @laluprasadrjd से ज़्यादा कोई नहीं समझ सकता।

इलाज में लापरवाही से नाराज राजद

शहाबुद्दीन के इलाज में कोताही किये जाने का बड़ा आरोप राजद नेता तन्वीर हसन और चितरंजन गगन ने लगाया है. शहाबुद्दीन के स्वास्थ्य के साथ लापरवाही का आरोप पहले भी लग चुका है. यह मामला इतना संवेदनशील बन चुका था कि जेल प्रशासन के रवैये की शिकायत उच्च न्यायालय तक पहुंचा था और अदालत ने उन्हें अच्छे इलाज के लिए आदेश भी दिया था.

शहाबुद्दीन की मौत की खबर झूठी,मातमी माहौल में जगी उम्मीद

इसके बावजूद राजद और परिवार के लोगों का आरपो रहा कि जेल प्रशासन ने शहाबुद्दीन के इलाज में लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया. तीन दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह द्वारा बेहतर इलाज के लिए आदेश दिया गया था इसके बावजूद जानबूझ कर शहाबुद्दीन को एम्स में नहीं ले जाया गया.

शहाबुद्दीन होने का मतलब

लालू प्रसाद यादव जब 1990 में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो एक पतला सा छरहरा और लम्बा युवक राजनीति में बड़ी तेजी से उभर रहा था. वह लालू की पार्टी में नहीं था. उसने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता. लेकिन कालांतर में लालू प्रसाद के निकट होता चला गया. यही युवक मोहम्मद शहाबुद्दीन था. आगे चल कर शहाबुद्दीन जनता दल और फिर राष्ट्रीय जनता दल की अंदरूनी सियासत के अभिन्न अंग बन गये. जब लालू-राबड़ी की सरकार संकट में घिरती तो उस संकट से मुक्ति के लिए लालू की जुबान पर जो पहला नाम आता वह शहाबुद्दीन का ही ना था.

हालांकि शहाबद्दीन के ऊपर हत्या जैसे अनेक संगीन माले चले. अदालतों से उन्हें सजा भी हुई. लेकिन उनका कद कभी भी राष्ट्रीय जनता दल में कम नहीं हुआ. पिछले कई वर्षों से शहाबुद्दीन जेल में बंद थे लेकिन लालू प्रसाद ने उन्हें हमेशा पार्टी की कार्यकारिणी का सदस्य बनाये रखा. लाालू के जेल रहते उनकी पत्नी को लगातार तीसरी बार राजद ने लोकसभा का टिकट दिया लेकिन वह नहीं जीत सकीं.

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