मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में लागू शराबबंदी के प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए कड़ा रुख इख्तियार करते हुए अधिकारियों से कहा कि चालक और खलासी को गिरफ्तार करने की बजाय जबतक माफिया और असल धंधेबाज नहीं पकड़े जाएंगे, तबतक शराब के अवैध कारोबार पर पूर्ण रूप से पाबंदी नहीं लगेगी।
श्री कुमार ने मद्य निषेध से संबंधित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि माफिया और असल धंधेबाज पकड़े जायेंगे, तभी शराब के अवैध कारोबार पर पूरी तरह पाबंदी लगेगी। उन्होंने कहा कि शराब मामले में अब तक जिन लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं, वे कौन लोग हैं, उनका विष्लेषण कर उनके विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। शराब के अवैध धंधे में लिप्त बड़े कारोबारियों एवं सप्लायरों को चिह्नित करें तथा उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले शराब के वाहन तो पकड़े ही जा रहे हैं, उसके वास्तविक कारोबारी को पकड़ने के लिये सीमावर्ती राज्यों के पदाधिकारियों से भी सहयोग लेते रहने की जरूरत है। केवल वाहन चालक और खलासी को गिरफ्तार करने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि दो जिलों में कार्यशाला आयोजित कर पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को मद्य निषेध नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए किये गये कार्यों की जानकारी दी गयी है। इस तरह की कार्यशाला सभी जिलों में आयोजित किये जाने की आवश्यकता है ताकि लोग और अधिक जागरूक हो सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जो लोग शराब के अवैध कारोबार में पकड़े जा रहे हैं, वे पहले किस धंधे में लगे थे या शराबबंदी से पहले जो शराब के कारोबार में लगे थे, वे अब शराबबंदी के बाद कौन सा व्यवसाय कर रहे हैं। इस पर भी पूरी नजर बनाये रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को स्थायी रूप से कारगर बनाने के लिए निरंतर अभियान चलाने की आवश्यकता है। शराबबंदी के कारण बिहार में सामाजिक परिवर्तन आया है और महिलाओं एवं बच्चों को काफी राहत मिली है।