महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन के लिए कल मुंबई में पहली बार तीनों दलों की साथ बैठक हुई. जिसमें एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम का प्रारूप तैयार कर लिया गया है.
जानकारों का कहना है कि चालीस प्वाइंट पर तीनों दलों ने साझा कार्यक्रम पर सहमति व्यक्त की है. उधर माना जा रहा है कि इस सहमति से कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी सुंतुष्ट हैं और इन मुद्दों पर अंतिम चर्चा के लिए उनसे शरद पवार 17 नवम्बर को मुलाकात कर रहे हैं.
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जहां तक मुख्यमंत्री पद की बात है तो अब लगभग यह तय हो चुका है कि यह पद शिवसेना के खाते में पांचों साल के लिए रहेगा जबकि कांग्रेस और एनसीपी के दो उपमुख्यमंत्री होंगे.
इस मामले में एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि भाजपा और सेना के बीच में विवाद की जड़ मुख्यमंत्री पद रहा है ऐसे में हमारे लिए यह उचित नहीं कि हम इस पद के लिए आपस में तकरार करें. शिवसेना को अपमानित किया गया है, उनका स्वाभिमान बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी बनती है.”
सोनिया भी संतुष्ट
पार्टी सूत्रों ने कहा कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के अलग होने के कारण विभाजित कांग्रेस और उसकी सहयोगी शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एक बार फिर एकजुट हो गई हैं. उनके लिए यह घटनाक्रम किसी वरदान से कम नहीं है. राज्य में कांग्रेस 20 वर्षो से कांग्रेस और राकांपा के रूप में विभाजित रही है और साथ ही भारी मतभेदों को झेलने के बाद भी एक-दूसरे का समय-समय पर सहयोग करती आई है.
शिव सेना का मुख्यमंत्री
जहां तक शिव सेना की तरफ से मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सवाल पर अभी तक कोई साफ तस्वीर सामने नहीं आयी है. अगर उद्भव ठाकरे ने खुद को मुख्यमंत्री पद से अलग रखा तो पार्टी नेता और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के अलावा किसी और को भी इस पद पर बिठाया जा सकता है.
राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है और समझा जाता है कि अगर तीनों दलों ने राज्यपाल को बहुमत का पत्र सौंप दिया तो वहां सरकार गठन का रास्ता साफ हो जायेगा.