राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री जी बहुत विलंब से शर्मसार हुए. लेकिन बच्चियों के साथ मुज़फ़्फ़रपुर में हुई दरिंदगी ने उनको इतना शर्मसार नहीं किया कि उनकी अंतरात्मा उन्हें कुर्सी छोड़ने के लिए बाध्य कर सके.
तिवारी ने कहा कि वैसे नीतीश कुमार ने रेल मंत्रालय से एक मर्तबा त्याग पत्र दिया था. गैसल में रेल दुर्घटना की नैतिक जवाबदेही लेते हुए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल से उन्होने त्यागपत्र दिया था.
लेकिन उस त्यागपत्र से उनकी कुर्सी जानेवाली नहीं है यह उन्होने पहले ही तौल लिया था. नीतीश आश्वस्त थे कि अटल जी उनके त्यागपत्र को मंज़ूर नहीं करेंगे. कुर्सी जाने का कोई जोखिम नहीं था. बल्कि नैतिकता के आधार पर सत्ता त्याग देने वाले राजनेता की छवि भी बनेगी और कुर्सी भी बची रहेगी. यही हुआ भी.
अटल जी ने इस्तीफ़ा नामंज़ूर कर दिया था.
वरिष्ठ समाजवादी नेता ने कहा कि नीतीश कुमार उस समय अटल जी की सरकार में मंत्री थे. तब उन्होने रेल दुर्घटना की नैतिक जवाबदेही ली थी. यहाँ तो उनकी ख़ुद की सरकार है. यहाँ कहाँ गई उनकी नैतिकता ! कहाँ सो गई है उनकी अंतरात्मा ? देश और दुनिया थू-थू कर रही है.
मुज़फ़्फ़रपुर की घटना ने नीतीश कुमार को तो नहीं, लेकिन बिहार और बिहारियों को ज़रूर शर्मसार कर दिया है. लेकिन सत्ताकामी नीतीश कुमार को इससे कोई फ़र्क़ पड़ने वाला नहीं है. अब जनता ही कान पकड़ कर इनको कुर्सी से उतारेगी.