दिवाली से पहले केंद्र सरकार ने बिहार की नीतीश सरकार को झटका दे दिया है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रशासनिक मद में पहले चार प्रतिशत राशि देती थी, जिसे घटा कर 1.7 प्रतिशत कर दिया। इससे संविदा पर नियुक्त कर्मियों के वेतन भुगतान का संकट हो गया। अब राज्य सरकार ने अपनी राशि लगा कर वेतन देगी। जाहिर है ये पैसा बिहारियों के विकास के लिए खर्च होता, लेकिन केंद्र के इस निर्णय के कारण बिहार पर बोझ बढ़ गया।
बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत 01 अप्रैल, 2016 से आवास विहीन/कच्चे आवासों में रहने वाले परिवारों को आवास निर्माण हेतु 1 लाख 20 हजार रूपये की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 से प्रशासनिक मद की राशि को 4 प्रतिषत से घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया गया है जिससे संविदा पर नियोजित कर्मियों के मानदेय भुगतान में देरी हो रही थी।
ग्रामीण विकास विभाग के माननीय मंत्री श्रवण कुमार ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण एवं मुख्य मंत्री आवास योजना के अनुश्रवण, लाभुकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु संविदा के आधार पर ग्रामीण आवास सहायक, ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक, लेखा सहायक, कार्यपालक सहायक एवं प्रोग्रामर कार्यरत हैं। इन सभी कर्मियों का प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण एवं मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवासों की जांच, लाभुकों को आवास निर्माण हेतु प्रेरित करने सहित अपूर्ण आवासों को पूर्ण कराने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
————–
मोहन भागवत ने खुद किया आह्वान, पर वाल्मीकि जयंती पर नहीं हुए शामिल
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने आगे यह भी कहा कर्मियों को समय पर मानदेय मिलने से अपनी पूरी क्षमता से कार्य कराने में सहायक होगी। इन संविदा कर्मियों के लगन से राज्य के ग्रामीण क्षेत्र का कोई भी गरीब पात्र परिवार गृह विहीन नहीं रहेगा, सरकार उन्हें आवास सहायता प्रदान कर पक्के छतदार मकान उपलब्ध करायेगी। जारी हुई निधि से अपूर्ण आवासों के निर्माण प्रक्रिया में तेजी आएगी एवं राज्य के पात्र गरीब जनता को अपना पक्का घर मिल सकेगा। इस हेतु संलेख श्री कुमार द्वारा अनुमोदित किया गया।