उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायायल और देश के अन्य उच्च न्यायालयों से सोशल मीडिया संबंधी दिशा-निर्देशों के बारे में सभी मामलों को मंगलवार को खुद को हस्तांतरित कर लिया।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सअप की याचिका को अनुमति देते हुए इस मामले में मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित एक मामले को खुद को हस्तांतरित कर लिया और सुनवाई का फैसला किया।
न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से नये दिशा-निर्देश बनाए जाने के बाद इस मामले में जनवरी के अंतिम हफ्ते में सुनवाई की जाएगी। न्यायालय ने कहा है कि वह इस बात पर निर्णय लेगा कि सोशल मीडिया पर फर्जी समाचारों और आपराधिक गतिविधियों के लिए सामग्री के प्रचार को फैलने से कैसे रोका जाए।
दरअसल वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने इंटरनेट फ्रीडम एसोसिएशन आफॅ इंडिया की तरफ से पैरवी करते हुए इस मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से की जा रही सुनवाई प्रकिया का विरोध किया। उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया कि यह एक हस्तांतरण याचिका है और शीर्ष न्यायालय को उच्च न्यायालयों के फैसलों पर कोई रोक नहीं लगानी चाहिए।
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायालय में कहा कि सरकार अपराध से लड़ने के लिए साेशल मीडिया की
सामग्री को क्रैक करने के लिए किसी तरह की काेई तकनीकी मदद नहीं चाहती है और वे सिर्फ एक आनलाइन प्लेटफार्म के पक्ष है तााकि पहुंच आसान हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास कोड को क्रैक करने की विशेषज्ञता हासिल है।
फेसबुक और व्हाट्सअप ने तर्क दिया कि वे अपने प्लेटफार्म पर उपभोक्ताओं द्वारा साझा किए गए संदेशों को डिक्रिप्ट नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके पास ऐसा करने का कोई तरीका नहीं है।