कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ विडियो कांफ्रेंसिंग में कहा कि सरकार 21 दिनों में कोरोना से जंग जीतने का आस लगा रही थी लेकिन अब उसके पास कोरोना संकट से बाहर नहिकलने का कोई ठोस रास्ता नहीं है.
सोनिया ने कहा कि लॉकडाउन से बाहर आने के लिए सरकार के पास कोई रणनीति नहीं होने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि संकट के इस समय भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री का शुरुआती दावा सही साबित नहीं हआ. ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है. मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी. उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा करने और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पांच दिनों तक इसका ब्यौरा रखे जाने के बाद यह एक क्रूर मजाक साबित हुआ.
इस अवसर पर तेजस्वी यादव ने अपनी बात रखते हुए केंद्र व राज्य सरकार पर जम कर निशाना साधा और कहा कि मजदूरों को भोजन की जगह लाठियां मारी जा रही है. उन्होंने कहा कि हम बिहार के श्रमवीरों के रोजगार और उनके स्वाभिमान की लड़ाई को मजबूती से लड़ रहे हैं. तेजस्वी ने कहा कि बिहार के श्रमवीरों के साथ हम किसी तरह की नाइंसाफी नहीं होने देंगे.
सोनिया ने कहा कि हममें से कई समान विचारधारा वाली पार्टियां मांग कर चुकी हैं कि गरीबों के खातों में पैसे डाले जाएं, सभी परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाए और घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को बस एवं ट्रेन की सुविधा दी जाये. हमने यह मांग भी की थी कि कर्मचारियों एवं नियोजकों की सुरक्षा के लिए ‘वेतन सहायत कोष’ बनाया जाये. हमारी गुहार को अनसुना कर दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘ कई जानेमाने अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 में हमारे देश की विकास दर -5 प्रतिशत हो सकती है. इसके नतीजे भयावह होंगे.”
सोनिया ने कहा, ‘‘ मौजूदा सरकार के पास कोई समाधान नहीं होना चिंता की बात है, लेकिन उसके पास गरीबों एवं कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति करूणा का नहीं होना हृदयविदारक बात है.”