मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शायद अहंकार में भूल गए हैं कि उनके पहले भी बिहार था और आगे भी रहेगा। वे बार-बार कहते हैं कि उनके पहले बिहार में कुछ नहीं था। ये वैसा ही है जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि 2014 के बाद ही देश का विकास हुआ। राजद ने कहा कि मुख्यमंत्री ने झूठ कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले विशेष दर्जे की मांग उठाई, जबकि सच्चाई ये तस्वीरें बता रही हैं, जिसमें उनसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने तब के प्रधानमंत्री वाजपेयी से विशेष दर्जे की मांग की थी।
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 अगस्त के अवसर पर गांधी मैदान अपने सम्बोधन में “बिहार को विशेष राज्य का दर्जा” की मांग को लेकर एक बार फिर से बिहार की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वे 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने उसके बाद ही उनके द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई गई। राजद प्रवक्ता ने उनके इस कथन को सरासर झूठ बताते हुए दो तस्वीरें जारी की है। पहली तस्वीर 3 फरवरी, 2002 का है। जब दीघा सोनपुर पुल का शिलान्यास के अवसर पर पटना के गांधी मैदान में आयोजित सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी।
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राजद प्रवक्ता ने एक दूसरी तस्वीर जारी करते हुए कहा कि यह तस्वीर मई, 2002 की है जिसमें राबड़ी देवी पार्टी के संसद सदस्य डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह, प्रो. रामदेव भंडारी, प्रेमचन्द गुप्ता, सरोज दुबे एवं विजय यादव के साथ अटल बिहारी वाजपेयी से मिलकर 2 अप्रैल, 2002 को बिहार विधानसभा में सर्वसम्मत से पारित बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने सम्बन्धी प्रस्ताव की कॉपी दी थी। उसके अगले ही दिन 16 मई, 2002 को राजद सांसद डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह जी के नोटिस पर नियम 193 के तहत लोकसभा में चर्चा हुई थी जिसमें सभी दलों के सांसदों ने बिहार का पक्ष लिया था। राजद प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर जदयू ने भाजपा के साथ सौदेबाजी कर बिहार के लोगों को धोखा देने का काम किया है।