समाज में साम्प्रदायिक नफरत का जहर फैलाने का काम उच्च पदों पर बैठे अधिकारी ही करने लगे तो इस समाज के विघटन के खतरों से बचाना मुश्किल है. कोरोना संक्रमण पर बिहार में SSB के कमांडेंट ने एक धर्म विशेष का नाम ले कर ऐसी बेतुकी चिट्ठी लिखी है जो काफी खतरनाक और गैरजिम्मेदारना है.
कुछ ऐसे ही जहरीली मानसिकता का खुलासा 47वीं बटालियन, एसएसबी रामगढ़वा पूर्वी चम्पारण के कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा के पत्र से हुआ है. एसएसबी के इस कमांडेंट ने देश में साम्प्रदायिक दंगा की ज्वाला भड़काने का ऐसा कुकर्म किया है जिसकी मिसाल विरले ही मिलती है. एसएसबी के 47वीं बटालियन, रमगढ़वा, पनटोका के कमांडेंट ने सशस्त्र बल के नैतिक व संवैधनिक कर्तव्य की धज्जी उड़ाते हुए एक पत्र पश्चिम चम्पराण के डीएम व एसपी को लिखा है. इस पत्र में नेपाल के पारसा के एक गांव का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि “वहां रह रहे ‘मुसलमान’ जिनके कोरोना पोजिटिव होने का संदेह है वे जालिम मुखिया नामक व्यक्ति की निगरानी में भारत में प्रवेश करके कोरोना फैलाना चाहता है”.
भारत में किसी भी उच्च पद पर बैठा यह पहला अधिकारी है जिसने कोरोना जैसे अतिसंवेदनशील व वैशिविक मानवीय संकट को खुल्लमखुला धर्म के नाम पर देश के अंदर साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश की है. जबकि विभिन्न राज्य सरकारों व केंद्र सरकारों ने ऐसे संवेदनशील मामले में किसी संदिग्ध कोरोना पीड़ित की पहचान ( धार्मिक या व्यक्तिगत) उजागर करने पर रोक लगा रखी है. इतना ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस मामले में भारत में पहले से आ रही खबरों पर चिंता जता चुका है.
एसएसबी ( SSB 47 bn) के कमांडेंट की यह चिट्ठी इतनी गैर जिम्मेदाराना है जिससे समाज में साम्प्रदायिक उन्माद फैलने की संभवाना है. खास कर तब जब दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के लोगों से कोरोना को जोड़ कर खबरें प्रसारित की गयीं तो उसके बाद हरियाणा के जिंद में, यूपी के प्रयगराज में और झारखंड के गुमला में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा. न सिर्फ साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा बल्कि प्रयागराज और गुमला में तो दो लोगों की हिंसा में जान भी चली गयी.
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इन सब उदाहरणों के देखने से यह साफ लगता है कि पूर्रवी चम्पारण के रमगढ़वा के निकट पनटोका स्थित एसएसबी 47वी बटालियन के कमांडेंट ने जानबूझ कर डीएम-एसपी को लिखे अपने पत्र में ‘मुसलमान’ शब्द का इतेमाल किया है. इस पत्र से कमांडेंट की समाप्रदायिक मानसिकता बेनकाब हो चुकी है. ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी को एक पल के लिए भी पद पर नहीं बने रहने देना चाहिए. भारत नेपाल सीमा की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी निभाने वाले इस अधिकारी की यह चिट्ठी भी मनगढंत और फर्जी लगती है. क्योंकि उन्होंने अपनी चिट्ठी में कहा है कि हो सकता है कि वे कोरोना पोजिटिव हों. जब कोरोना पोजिटिव होने की कमांडेंट खुद गारंटी नहीं दे रहे हैं तो आखिर उन्होंने कैसे पत्र में लिख दिया है कि जालिम मुखिया नामक व्यक्ति भारत में कोरोना फैलाने की योजना बना रहा है.
इस पत्र के बारे में हमने एसएसबी के कामांडेंट प्रियव्रत शर्मा से बात की. उन्होंने जबा में कहा कि यह कंफिडेशियल लेटर है. इस मीडिया में नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पत्र में धर्म का नाम भी नहीं आना चाहिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन हमारे पास जो सूचना आती है उसे हम उसी रूप में बढाना होता है.
इस मामले में बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की भूमिका काफी सराहनीय रही है. इस पत्र के बारे में जब एक टीवी चैनल के पत्रकार ने उनसे पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि पत्र में कोरोना संक्रमित होने की संभावना जतायी गयी है. वैसे हमने पहले से ही बिहार नेपाल बॉर्डर को सील कर दिया है.