राजधानी पटना में कॉलेज छात्राओं ने JDU और BJP के दफ्तरों के सामने जमकर प्रदर्शन किया। 11 वीं की छात्राओं को अचानक कॉलेज से स्कूल में ट्रांसफर किए जाने के फरमान से छात्राएं कई दिनों से परेशान हैं। उन्होंने अपने-अपने कॉलेज के गेट पर कई बार प्रदर्शन किए लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी। हार कर सैकड़ों छात्राएं गुरुवार को JDU और BJP कार्यालयों के सामने जमा होकर विरोध में नारे लगाने लगीं। उधर राज्य के स्कूली शिक्षकों में भी रोष देखा जा रहा है। होली की छुट्टी में भी उन्हें प्रशिक्षण के नाम पर ड्यूटी में रहने का आदेश दिया गया है।
उधर छात्र संगठन आइसा के नेतृत्व में इसी मुद्दे पर प्रदर्शन किया। BSEB पटना के द्वारा डिग्री कालेज से इंटरमीडिएट छात्रों को स्थानांतरित करने के ख़िलाफ़ आज आइसा ने बिहार बोर्ड के समक्ष प्रर्दशन किया। नेतृत्व आइसा राज्य कार्यकारिणी सदस्य हेमंत ने किया। आइसा नेता हेमंत ने कहा कि बिहार में शिक्षा सुधार के नाम पर शैक्षणिक अराजकता फैलाया जा रहा है। छात्र इंटर क लिए जिस काॅलेज में नामांकन लिए थे, उन्हें अचानक कहा जा रहा है कि 12वी में अब कही और जगह पढ़ाई कीजिए सरकर इस फैसला को तत्काल विचार करते हुए वापस लेना होगा! आइसा का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से मिल कर मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा।
हाल में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने एक आदेश दे कर 11 वीं और 12 वीं की छात्राओं को कॉलेज से हटा कर स्कूलों में ट्रांसफर किए जाने का आदेश दिया। छात्राओं का कहना है कि इससे उनकी पढ़ाई बर्बाद हो जाएगी। स्कूलों में विभिन्न विषयों के शिक्षक भी नहीं हैं। संसाधन नहीं हैं। कॉलेज में हर विषय के कम ही सही, पर शिक्षक हैं। उनकी पढ़ाई चल रही है, लेकिन स्कूल में जाने से पढ़ाई बाधित हो जाएगी।
छात्राओं के प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस भी पहुंच गई, लेकिन छात्राएं अड़ी रहीं। पुलिस के नोंकझोंक के बीच कई छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई। स्थिति बिगड़ती देख उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी कार्यालय से बाहर निकले। उन्होंने छात्राओं को आश्वासन दिया है कि सत्र की बीच में छात्राओं को कॉलेज से ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। इसके बाद छात्राएं लौट गईं। उन्होंने कहा कि वे विभागीय आदेश का इंतजार करेंगी। आदेश नहीं निकलने पर वे फिर प्रदर्शन करेंगी।
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उधर होली जैसे महत्वपूर्ण पर्व के बीच शिक्षा विभाग ने छह दिवसीय प्रशिक्षण रख दिया है। इससे शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है। राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने इस आदेश को तुगलकी फरमान करार दिया और आदेश को वापस लेने की मांग की है। कई लोगों ने सोशल मीडिया में लिखा है कि मीडिया से यह खबर गायब है, जबकि महागठबंधन सरकार के दौरान होली की छुट्टी कम किए जाने पर उसे हिंदू धर्म का अपमान कहा गया था, लेकिन आज वे चुप हैं।