दिल्ली की एक अदालत ने लैंड फॉर जॉब केस में पहली बार लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी समन भेजा है। अदालत ने इस केस में लालू परिवार के तीन सदस्यों सहित कुल आठ लोगों को समन भेजा है। राजद ने इसे सामान्य न्यायिक प्रक्रिया बताया है।

दिल्ली सी साउथ एवेन्यू कोर्ट ने समन भेजा है। मामले में अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी। ईडी की पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने समन जारी किया है। सभी आरोपियों को कोर्ट में सुनवाई के दिन पेश होने को कहा गया है।

इधर राजद ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि लालू परिवार मुकदमों से डरने वाला नहीं है। राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि ‘लैंड फॉर जॉब ‘ मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा लालू जी और तेजस्वी जी सहित अन्य लोगों को सम्मन जारी किए जाने पर भाजपा एवं जदयू नेता हास्यास्पद बयानबाजी कर रहे हैं। यह तो सामान्य न्यायिक प्रक्रिया है कि जब किसी मामले में कोई पूरक चार्जशीट कोर्ट के समक्ष दाखिल किया जाता है तो कोर्ट आरोपियों के खिलाफ सम्मन जारी करती है।

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राजद प्रवक्ता ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का हम सम्मान करते हैं और हमें न्यायालय पर पुरा भरोसा है। पर भाजपा और जदयू के लोग इस सम्मन को लेकर जैसी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं इससे न केवल उनकी अज्ञानता दिखाई पड़ रहा है बल्कि यह भी प्रमाणित हो जा रहा है कि यह मामला लालू जी और तेजस्वी जी सहित उनके परिवार को परेशान करने की उनके द्वारा की जा रही साजिश का हीं एक एपिसोड है। इस मामले में पहले हीं लालू जी और तेजस्वी जी को नियमित जमानत मिल चुकी है। आगे भी न्यायालय का जो भी आदेश होगा उसका सम्मान किया जाएगा। और अन्ततः सत्य की जीत होगी।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि  यह तो सर्वविदित है कि लालू जी, तेजस्वी जी सहित अन्य विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए सीबीआई, ईडी और आईटी जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का किस प्रकार राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है। भाजपा का तो चरित्र हीं रहा है कि केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को झूठे और काल्पनिक मामलों में आरोपित बनाकर उनके खिलाफ दुष्प्रचार करना। एक हीं मामले में बार-बार पूरक चार्जशीट दाखिल करने या जिस मामले को अनेकों बार जांच करने के बाद साक्ष्य के अभाव में बंद कर दिया गया हो उसे पुनर्जीवित करने का मतलब और मकसद कोई छुपा हुआ तथ्य नहीं है ।जबकि भाजपा में ऐसे नेताओं की एक लम्बी सूची है जो  विभिन्न संज्ञेय अपराधों में अदालतों द्वारा दोषी करार दिए जा चुके हैं। भाजपा और जदयू में ऐसे इक्के-दुक्के हीं नेता बचेंगे जो किसी न किसी मामले में आरोपित नहीं हैं या जिनके खिलाफ अदालतों में मामले लम्बित नहीं हैं।

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By Editor


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