भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३१२ के तहत भारतीय न्यायिक सेवा के गठन का प्रावधान किया गया है जो उच्च न्यायपालिका में जजों की भर्ती के लिए बनाया गया है।
राजेंद्र प्रसाद
उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद २३४ के तहत राज्य न्यायिक सेवा के गठन के माध्यम से अवर न्यायाधीश से लेकर जिला न्यायाधीश तक के पदों पर नियुक्ति वर्षों से होती आ रही है और इसमें संबंधित राज्य के आरक्षण के नियम भी लागू है ।
लेकिन भारत सरकार ने अनुच्छेद ३१२ के प्रावधानों के अनुरूप उच्च न्यायपालिका के जजों की भर्ती के लिए भारतीय न्यायिक सेवा के गठन करने की बजाय NJAC कानून के तहत जजों की नियुक्ति का प्रावधान वर्तमान व्यवस्था में संशोधित कर किया। जिसे सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने निरस्त कर दिया।
संविधान लागू होने के वर्षों बाद भी अब तक अनुच्छेद ३१२ के प्रावधान लागू नहीं कर भारत सरकार ने अनुसूचित जातियों जनजातियों पिछड़े वर्गों के आरक्षण नियमों को लागू करने से बचने के लिए किया । जाहिर है भारत सरकार और सर्वोच्च न्यायालय अपने अपने वर्चस्व के लिए मामलों को दूसरी दिशा देकर नूरा कुश्ती कर रहे है ।
दोनों नहीं चाहते है कि उच्च न्यायपालिका में आरक्षण लागू हो । इसलिए मामले को दूसरी दिशा की ओर मोड़ दिया गया ।
प्रबुद्ध जनता इसे जाने समझे और बूझे। अपनी मांग को विभिन्न मंचों पर उठावे।