टूट गई अंतिम उम्मीद, Bilkis Bano की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो की अर्जी खारिज कर दी। उन्होंने गैंगरेप के दोषियों की सजा माफ करने के खिलाफ SC का दरवाजा खटखटाया था। देश आज स्तब्ध है।
बिलकिस बानो के साथ 2002 गुजरात दंगे के समय गैंगरेप हुआ था। उस समय उनकी उम्र 21 वर्ष थी। तीन साल की बेटी और परिवार के छह सदस्यों का कत्ल कर दिया गया था। हाल में गैंगरेप के दोषियों की सजा माफ करके जेल से छोड़ दिया गया। यही नहीं, इन रेपिस्टों को जेल से निकलने पर माला पहनाई गई, मिठाई खिलाई गई।
बिलकिस बानो ने अपने साथ हुए भयानक अत्याचार और अत्याचारियों की माफी के खिलाफ देश के सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था। देश भर के लोकतंत्रपसंद, महिला अधिकार संगठनों और धर्मनिरपेक्ष लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी उम्मीद थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दरवाजा खोलने के बजाय बंद कर दिया। न्याय की अंतिम उम्मीद भी टूट गई।
सोशल मीडिया पर तमाम लोग बिलकिस बानो के साथ खड़े हो रहे हैं। अपना समर्थन दे रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस भारत को लोकतंत्र की जननी कहते लोग नहीं थकते, उसी भारत में बिलकिस को अब न्याय कौन देगा? कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. शमा अहमद ने बिलकिस की पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर कहा कि न्याय का यह कैसा प्रहसन (travesty) है! यह यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए अपमानजनक संदेश है, जो न्याय पाने के लिए दिन-रात वर्षों कठिन संघर्ष करती हैं।
दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहां जाएंगे? पत्रकार रोमाना इसर खान ने कहा बदकिस्मत बिलकिस बानो, बलात्कारी आजाद रहेंगे और बिलकिस ‘आजाद समाज’ में अपने ही बलात्कारियों के बीच उम्र भर की कैद काटेगी!गजब का बुलंद इंसाफ है!