सर्वे : यूपी में आज चुनाव हो तो सौ पर सिमट जाएगी भाजपा
क्या मोदी सरकार 2024 में चुनाव हार जाएगी? इस प्रश्न का जवाब यूपी विधानसभा चुनाव-2022 देगा। भाजपा ने अपना आंतरिक सर्वे किया है। सर्वे से क्या निकला?
आपने यह खबर पढ़ी होगी कि महामारी के बीच यूपी चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के प्रतिनिधि की चर्चा हुई। लोगों को आश्चर्य हो रहा था कि महामारी के बीच कोविड के बजाय चुनाव पर क्यों मीटिंग हुई। अब यह खबर आ रही है कि दरअसल इसके पीछे भाजपा का अपना आंतरिक सर्वे है। इस सर्वे का रिजल्ट यह है कि अगर यूपी में आज चुनाव हो तो भाजपा को सौ सीटें भी नहीं आ पाएंगी।
स्वाभाविक है, इस सर्वे ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। संभव है महामारी के बीच यूपी चुनाव पर चर्चा की यही प्रमुख वजह हो। आज जयपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक राष्ट्रदूत ने पहले पन्ने पर एक खबर प्रकाशित की है, जिसके अनुसार अगर आज यूपी में चुनाव हुए, तो सौ के भीतर सिमट जाएगी भाजपा।
अखबार लिखता है कि यूपी में कोविड में जिस तरह अव्यवस्था हुई, लोगों को इलाज नहीं मिला, हजारों की संख्या में लोग मर गए, उससे सत्ताविरोधी भावना बढ़ी है। भाजपा योगी आदित्यनाथ की जगह किसी दूसरे को सीएम बनाने के बारे में सोच रही है। हालांकि पार्टी जानती है कि अगर योगी को हटाने की कोशिश की गई, तो योगी चुप नहीं बैठेंगे। उत्तराखंड और यूपी में फर्क है। अखबार के अनुसार योगी ने संदेश दे दिया है कि अगर कोविड से निबटने में विफलता को आधार बनाया गया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी जिम्मेवारी लेनी होगी। वे भी विफल रहे हैं। उन्हें भी पद छोड़ना होगा।
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यूपी विधानसभा का चुनाव न सिर्फ योगी सरकार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे मोदी सरकार का भविष्य भी तय होगा। पार्टी ने बंगाल में 200 प्लस सीट लाने का दावा किया, पर वहां मुंह की खानी पड़ी। अब अगले साल अगर भाजपा यूपी चुनाव हार गई, तो मोदी सरकार का केंद्र में वापसी असंभव हो जाएगा। मालूम हो कि देश में सर्वाधिक लोकसभा क्षेत्र यूपी में हैं। यहां 80 सीटें हैं। यहां भाजपा को सर्वाधिक 53 सीटें मिली थीं।
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भाजपा के लिए पंचायत चुनाव ने भी खतरे की घंटी बजा दी है। पंचायत चुनाव में भाजपा को उम्मीद के विपरीत बहुत कम सीटें आईं और सपा को सबसे अधिक। आज गंगा किनारे कब्रों से रामनामी और चुनरी हटाने का घटना भी भाजपा की बदहवाशी को दिखा रही है। सवाल यह है कि अगर भाजपा यूपी में नेतृत्व परिवर्तन नहीं करती है, तो गुस्से को किस प्रकार कम करेगी। इसके लिए तब भाजपा वही करेगी, जो पहले भी करती रही है यानी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण।