सड़क, पुल व भवनों के निर्माण से उत्पन्न वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए हितधारकों के साथ अरण्य भवन के सभागार में आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि निर्माण सामग्री का परिवहन व सड़क, पुल तथा भवनों का निर्माण कार्य ढक कर नहीं करने वाले निजी और सरकारी ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
वायु प्रदूषण के मुख्य कारक धूलकण के उड़ने पर रोक के लिए पथ निर्माण विभाग को सड़क किनारे पक्का फ्लैंक बनाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 2010-16 के बीच दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित 20 शहरों में 13 भारत के थे, जिनमें 3 बिहार के पटना गया और मुजफ्फरपुर हैं। जाड़े के मौसम में आद्रता की वजह से वायुमंडल में पीएम 2.5 के धूलकण की मात्रा बढ़ जाने की वजह से वायु प्रदूषण की स्थिति और भयावह हो जाती है। वायु के साथ ही अन्य प्रदूषणों पर नियंत्रण के लिए जागृति पैदा करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पटना में 4 के अतिरिक्त भागलपुर, दरभंगा और हाजीपुर में वायु गुणवत्ता अनुश्रवण केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। गया में पहले से कार्यरत एक सेंटर के अलावा दूसरा सेंटर भी नवम्बर से काम करने लगेगा। पटना के तारामंडल के पास जहां एक एयर माॅनिटरिंग सेंटर कार्यरत हैं वहीं आईजीआईएमएस, इको पार्क, बापू सभागार और एनआईटी, महेन्द्रू में 4 नए सेंटर अक्तूबर तक काम करने लगेंगे। 5 साल की देखभाल के साथ 1 करोड़ 70 लाख की लागत से सेंटर स्थापित करने का टेंडर किया जा चुका है। राज्य के अन्य 42 शहरों में भी इस तरह के सेंटर स्थापित कर वायु गुणवत्ता पर नजर रखी जायेगी।
उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता का स्तर ठीक रखने के लिए सरकार 15 साल पुराने वाहनों के पटना में परिचालन पर रोक के लिए हाईकोर्ट के पूर्व के निर्णय के खिलाफ डब्बल बेंच में अपील करेगी। बैट्री चालित वाहनों को प्रोत्साहित करने, ठोस कचरा तथा निर्माण सामग्रियों के प्रबंधन आदि के साथ ही नई क्लीनर तकनीक में ईंट-भट्ठों को परिवर्तित नहीं करने वालों को नवम्बर से संचालन की अनुमति नहीं दी जायेगी।