बिहार भाजपा पर वर्षों से ‘कुंडली’ मारकर बैठे सुशील मोदी के भार से भाजपा को मुक्त होने का वक्त आ गया है। पिछले 25 वर्षों से बिहार भाजपा पर सुशील मोदी का एकछत्र राज रहा है। इन वर्षों में भाजपा को कई जातियों के कई अध्यक्ष मिले, लेकिन दिल्ली से बातचीत का माध्यम सुशील मोदी ही रहे हैं।
वीरेंद्र यादव
भाजपा जब विपक्ष में थी, तब अरुण जेटली और नीतीश कुमार के बीच संवाद की कड़ी सुशील मोदी ही थे। जुलाई 2017 में सरकार बदलने में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच ‘सौदे’ से सुशील मोदी अनभिज्ञ थे। यही एकमात्र मौका था, जिससे सुशील को अलग रखा गया था।
लेकिन सुशील मोदी की अब बिहार से विदाई का वक्त आ गया है। नरेंद्र मोदी की नयी सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। ज्यादा संभावना वित्त मंत्रालय, कंपनी मामले या किसी अन्य वित्तीय मामलों से जुड़े विभाग मिलने की संभावना जतायी जा रही है। 30 मई को नरेंद्र मोदी की नयी सरकार का गठन होगा। इसमें नये मंत्रियों को जगह मिल सकती है। वर्तमान कई मंत्री उम्र की ढलान पर हैं। बिहार से करीब 6 या 7 मंत्री बन सकते हैं। इसमें लोजपा से एक और जदयू से दो मंत्री बनने की संभावना है।
भाजपा से बनने वाले मंत्रियों के नाम को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। इसमें सुशील मोदी के मंत्री बनने की पूरी संभावना जतायी जा रही है। रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर सुशील मोदी राज्य सभा जा सकते हैं। इसके साथ नित्यानंद राय, आरके सिंह और अजय निषाद को मंत्री बनाया सकता है। इसमें अंतिम निर्णय नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ही करना है, लेकिन बिहार से निर्वाचित सभी सांसदों को पीएमओ से फोन आने का इंतजार है। 30 मई तक आपको भी इंतजार करना पड़ेगा।