जब तुम प्रेम में होते हो तो तुम कुछ नहीं करते. तुम्हारा प्रेम ही तुमसे सबकुछ करवा देता है. इसी तरह जब तुम क्रोध में होते हो तो तुम कुछ नहीं करते, तुम्हारा क्रोध ही सबकुछ तुमसे करवा देता है. तुम्हें जो बनना है उसके बारे में तुम्हें सोचना पड़ेगा. उसकी कल्पना करनी होगी. विचार करना होगा. और फिर आपका विचार ही आपको वह सब करवा देगा जो आप को करना है. आपको बस आपके विचारों के साथ लयबद्ध होना पड़ेगा. फिर आप असी शक्ति से भर जायेंगे और आपकी हर सांस उसी दिशा में अग्रसर होगी जिस दिशा में आपकी मंजिल है. ये बाते एलिट इंस्टिच्यूट के निदेशक अमरदीप झा गौतम ने पटना में एक कार्यशाला के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कही.

 

श्री गौतम एलिट इंस्टिच्यूट द्वारा आयोजित ‘रिदमिक एक्शन: कंसेप्ट ऐंड मेकानिज्म’  विषय पर आयोजित कार्यशाला के दौरान पटना के एक स्थानीय होटल में छात्रों को संबोधित कर रहे थे. ये छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं.

 

रविवार को एलिट इंस्टिच्यूट के निदेशक अमरदीप झा गौतम अपने संस्थान के डेढ़ सौ से ज्यादा छात्रों के समक्ष एक शिक्षक के बजाये एक दार्शनिक के रूप में रू ब रू थे. वह छात्रों को जीवन में सफलता के प्रति प्रेरित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि आप अपने मन पर जोर जुल्म से नियंत्रण पाने के बजाये उसके साथ तारतम्यता स्थापित करें. लयबद्धता कायम करें. और फिर आप कल्पना करें कि जो आप बनना चाहते हैं वह बन गये हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर आप सफल डाक्टर बनना चाहते हैं या आईआईटी इंजीनियर बनना चाहते हैं तो विचार करें कि आप बन गये हैं. अपने मन को इसके लिए तैयार करें. जब आप खुद को इसके लिए तैयार करेंगे तो आप का मन खुद ब खुद उस दिशा में अग्रसर होने लगेगा. तब आप में असीम ऊर्जा का संचार होगा और आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में निकल पड़ेंगे.

 

श्री गौतम ने डेढ़ घंटे के अपने संबोधन में आइस्टीन और एपीजे अब्दुल कलाम को कोट किया. उन्होंने कहा कि आइंस्टीन ने अपने लक्ष्य के प्रति रिद्म स्थापित कर लिया था. और इसी रिद्म ने उन्हें अनेक वैज्ञानिक स्थापनाओं तक पहुंचने में सफलता दिलवाई.

 

उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम की पुस्तक विंग्स आफ फायर का हवाला देते हुए कहा कि सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे से पहली जरूरत सपना देखने की होती है. और सपना वह नहीं है जो आप नींद में सोये हुए देखते हैं, बल्कि सपना वह है जो आपको सोने न दे. श्री गौतम ने कहा कि सपना पालना विचार का प्रथम चरण है. सपने को आत्मसात करिये और उस सपने के साथ लयबद्धता स्थापित करिये. यही लयबद्धता आपमें गतिशीलता लायेगी और आप की यही गतिशीलता आपको खुदबखुद आपकी कामयाबी की मंजिल तक ले जायेगी.

श्री गौतम ने कहा कि आप अपने ऊपर जोर जुल्म करके या खुद से लड़के कामयाब नहीं हो सकते. खुद पर नियंत्रण रखने के लिए खुद से लड़ने के बजाये खुद को वैचारिक स्तर पर सहजता से आगे ले जाने की जरूरत है.

उन्होंने अनेक कामयाब लोगों का उदाहरण दिया और बताया कि लयबद्धता संगीत का एक चरण है और संगीत आनंद का माध्यम है. अगर आपने लयबद्ध गतिशीलता या रिद्मिक एकशन को प्राप्त करने के लिए खुद को तैयार कर लिया तो आप असीम ऊर्जा प्राप्त कर लेंगे. यह ऊर्जा आपको थकने नहीं देगी और आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद ब खुद मेहनत करने लगेंगे. और अंतत: ऐसी मेहनत आप की सफलता को सुनिश्चित कर देगी.

इस कार्यशाल में एलिट इंस्टिच्यूट के दर्जन भर छात्र-छात्राओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नौकरशाही डॉट कॉम के सम्पादक इर्शादुल हक, पत्रकार विजय मिश्र और पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता  दिनेश्वर मिश्र  द्वार सम्मानित किया गया.

 

 

 

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