हिंदू राष्ट्र बनाम जाति जनगणना : तेजस्वी का 33 नेताओं को पत्र

जाति आधारित जनगणना की मांग पर तेजस्वी यादव ने सोनिया गांधी सहित देश के 33 प्रमुख नेताओं को पत्र लिखा है। इसकी एक लाइन बहुत महत्वपूर्ण है।

कुमार अनिल

जाति आधारित जनगणना की मांग को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा खारिज कर देने के बाद आज तेजस्वी यादव ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, नीतीश कुमार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन सहित देश के सभी गैर भाजपा दलों के नेताओं को पत्र लिखा है।

तेजस्वी यादव ने आंबेडकर को कोट करते हुए कहा कि जाति गैरबराबरी बनाए रखने की एक प्रणाली या व्यवस्था है। इसके कारण देश का बड़ा हिस्सा अपने हक से वंचित है। तेजस्वी ने जाति आधारित जनगणना के पक्ष में तर्क दिए हैं, लेकिन इसकी एक लाइन बहुत खास है।

तेजस्वी ने लिखा है-‘यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण के एक जरूरी कदम के बतौर देखा जाना चाहिए।’ यह लाइन देश में भाजपा-संघ के हिंदू राष्ट्र के बरअक्स राष्ट्र निर्माण की एक वैकल्पिक धारणा को स्थापित करता है। तेजस्वी ने कहा- हमारे सामने यह ऐतिहासिक मौका है कि हम एक ऐसा एजेंडा देश के सामने लाएं, जो भारत को ज्यादा न्यायपूर्ण और सबको समान अधिकार वाला देश बनाए। यह सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

जहां भाजपा और संघ लगातार भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रयास में है। न सिर्फ धार्मिक अल्पसंख्यक बल्कि दलित और बहुजन समाज की आवाज कमजोर हो रही है। भाजपा-संघ के नैरेटिव के खिलाफ तेजस्वी ने जाति आधारित जनगणना को प्रमुख मुद्दा बनाने पर जोर दिया है। इसके पक्ष में अपना तर्क रखते हुए तेजस्वी ने कहा है कि हमारे समाज में आर्थिक-सामाजिक भेदभाव कायम रखने में जाति की प्रमुख भूमिका है, मुट्ठीभर लोगों के हाथ में सारा विशेषाधिकार है, इसके बावजूद देश में आधी से ज्यादा आबादी के बारे में कोई विश्वसनीय डेटा नहीं है। तेजस्वी ने सभी प्रमुख नेताओं से सुझाव भी मांगे हैं, ताकि इस मांग पर आगे बढ़ा जाए।

यहां यह गौर करनेवाली बात है कि देश के सभी गैर भाजपा दल जाति आधारित जनगणना पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं, लेकिन इन दलों में किस मुद्दे को कितना महत्व दिया जाए, इस पर फिलहाल एकमत नहीं है। कांग्रेस जातिगत जनगणना के पक्ष में है, लेकिन उसका जोर महंगाई, किसान और दूसरे राष्ट्रीय मुद्दे हैं। वैसे, इतना तो तय है कि इस मुद्दे पर तेजस्वी ने पहल कर दी है। देखना है, उनके पत्र का किस प्रकार रिस्पांस मिलता है। क्या एक समय जिस तरह कमंडल के सामने मंडल खड़ा हुआ था और आडवाणी जी का रथ रुक गया था, उसी प्रकार हिंदू राष्ट्र के हल्ले का जवाब जातीय जनगणना होगी?

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