Tag: संजय कुंदन की नज्में

“यहाँ टूटा हुआ पत्ता हवा के साथ चलता है/ कोई तन्हा नहीं होता खुद के साथ चलता है”

इक ज़रा सी सुख़न-फ़हमी अगर दे दे ख़ुदा, ज़िन्दगी का लुत्फ़ ग़ालिब की तरफ़दारी में है! तो ले चलते हैं…


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