इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मंगलवार को चाचा नीतीश कुमार का एक बड़ा भेद खोल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में वे एक लाख चौदह हजार से ज्यादा नौकरियों देने वाले थे। इसके लिए पूरा होम वर्क किया गया था। कहां-कहां कितने पद खाली हैं, पता किया गया है। कहां नए पद सृजित हो सकते हैं, उसकी तलाश की गई। काफी मेहनत और तैयारी के बाद स्वास्थ्य विभाग में एक लाख चौदह हजार से ज्यादा नौकरियों की फाइल तैयार हुई। मैंने अपनी तरफ से सारा कार्य कर दिया। अब अंतिम मुहर कैबिनेट से लगनी थी। उसे कैबिनेट में भेज भी दिया गया। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस फाइल को दबा कर बैठ गए। तेजस्वी यादव ने अफसोस भरे लहजे में कहा कि अगर उस फाइल को दबाया नहीं जाता, तो आज पांच लाख की जगह छह लाख बिहारी युवकों को नौकरी मिल चुकी होती। मुझे क्या पता था कि चाचा उधर जाने वाले हैं। इस उम्र में हम उन्हें क्या कोसें। जनता खुद ही हिसाब कर देगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नहीं चहते थे कि स्वास्थ्य विभाग में 1.14 लाख नौकरी देने का श्रेय तेजस्वी यादव को मिले। वे फाइल दबा कर बैठ गए और फिर पलट गए।
तेजस्वी यादव का यह खुलासा चौंकानेवाला है। बिहार के युवकों को निराश करने वाला है, लेकिन सच्चाई है, तो स्वीकर करना ही होगा। दरअसल तेजस्वी यादव पिछले 2020 चुनाव में दस लाख नौकरियां देने का वादा कर चुके थे। हालांकि वे मुख्यमंत्री नहीं बने, लेकिन उपमुख्यमंत्री रहते उनकी कोशिश थी कि वह वादा पूरा हो। इस दिशा में वे लगातार सक्रिय रहे। इसी का परिणाम है कि जो मुख्यमंत्री 2020 में कह चुके थे कि दस लाख नौकरियां देना असंभव है। राज्य के पास पैसा नहीं है। बल्कि तेजस्वी यादव पर बिगड़ते हुए उन्होंने कहा था कि पैसा क्या बाप के यहां से लाएगा। उसी मुख्यमंत्री को उन्होंने पांच लाख नौकरियां देने को मजबूर कर दिया। यह बात बिहार की जनता देख रही थी। तेजस्वी यादव ममता दीदी, आशा वर्कर, विकास मित्र, तालीमी मरकज का वेतनमान जिस प्रकार बढ़ाया, उससे उनकी छवि युवाओं के अलावा गरीबों में भी निखर रही थी। इसी बीच नीतीश कुमार ने पलटने का मन बना लिया और नौकरी वाली सरकार भी बेपटरी हो गई।