कर्नाटक में राज्यपाल वजुभाई वाला के विवेक का भूत अब बिहार, मणिपुर व गोवा तक हिलोरें मारने लगा है और उनके विवेक की दुहाई देते हुए राजद ने बिहार में तो कांग्रेस ने गोवा व मणिपुर में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है.
इन राज्यों में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टियों ने संबंधित राज्यपालों से मुलाकत की है और कहा है कि जिस आधार पर कर्नाटक के राज्यपाल ने भाजपा सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है ठीक उसी आधार पर गोवा, मणिपुर और बिहार में भी राज्यपाल को उन पार्टी को सरकार बनाने का मौका देें.
शुक्रवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राजद, कांग्रेस, हम और माले विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया. बिहार के नेता प्रतिप तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे पास 111 विधायकों का समर्थन पत्र है और अगर हम लोगों को सरकार बनाने का मौका मिलता है कि हम लोग आसानी से बहुमत साबित कर देंगे. मैंने राज्यपाल को इन सभी विधायकों का समर्थन पत्र सौंप दिया है और सरकार बनाने के लिए मौका देने का आग्रह किया है.
उधर कर्नाटक के राज्यपाल के विवेक के आधार पर गोवा में कांग्रेस ने यहां सबसे बड़ी पार्टी होने का हवाला देते हुए सरकार बनाने का दावा किया है.राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए कांग्रेस के 13 विधायकों ने राजभवन तक मार्च किया. कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए राज्यपाल मृदुला सिन्हा को ज्ञापन सौंप दिया है. जबकि मणिपुर में भी सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी. मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने की मांग की.
याद रहे कि गोवा और मणिपुर में हाल ही में हुए चुनाव के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनके उभरी थी लेकिन संबंधित राज्यपालों ने भाजपा गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर दिया.
इन तीनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टियों द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्यपालों पर नैतिक दबाव तो पड़ ही गया है कि वे भी अपने विवेक से फैसला करें, जैसा कि कर्नाटक के राज्यपाल ने किया. भले ही इन पार्टियों क इस कदम का कोई सकारात्मक परिणाम ना मिले लेकिन इन राज्योंपालों के के विवेक पर प्रश्न चिन्ह जरूर खड़ा हो गया है.