राजद नेता तेजस्वी यावद ने लखनऊ में मायावती से मुलाकात की है. यह मुलाकात मायवती के बर्थडे से दो दिन पहले और SP-BSP Alliance की घोषणा के दो दिन बाद हुई है.
आखिर यह मुलाकात मायवती के जन्मदिन से दो दिन पहले और SP-BSP Alliance की घोषणा के दो दिन बाद क्यों हुई है?
नौकरशाही डॉट कॉम ब्यूरो
आखिर इस मुलाकात के क्या मायने हैं? Mayawati का बर्थडे 15 जनवरी को है. और यह मुलाकात दो दिन पहले यानी 13 जनवरी को हुई ब जाहिर तेजस्वी ने मायावती को इस मुलाकात के बाद उन के जन्मदिन की बधाई दी और उनकी उपलब्धियों की सराहना की.
इस मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा है कि मायावती जी को उनके जन्मदिन पर पेशगी बधाई पेश करता हूं. उन्हें बधाई जिन्होंने अपनी उपलब्धियों से सम्मान हासिल किया है.
हम अपने बड़ों की छत्रछाया में पल-बढ़ कर काफी कुछ सीखते हैं. हम मायावती जी के लिए बेशुमार खुशियों की कामना करते हैं.
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तेजस्वी लखनऊ में हैं. मायावती से मुलाकात के बाद उनका अखिलेश यादव से भी मिलने का कार्यक्रम है.
ध्यान रखने की बात है कि तेजस्वी की इन नेताओं से ऐसे समय में मुलाकात हो रही है जब मायाव और अखिलेश की SP-BSP Alliance की घोषणा कर दी है. इस Alliance में कांग्रेस को जगह नही मिली है. कांग्रेस अंदर से नाराज है. और उसने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.
हालांकि तेजस्वी ने इस गठबंधन के ऐलान के बाद खुशी जाहिर की और कहा कि भाजपा के खिलाफ यह गठबंधन जरूरी है.
ध्यान रखने की बात है कि तेजस्वी यादव की सोच यह है कि देश भर में कांग्रेस के साथ गठबंधन को मजबूती मिले. बिहार में कांग्रेस राजद का गठबंधन है भी. लिहाजा यह गठबंधन उत्तरप्रदेश में भी हो.
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Extended warm Birthday greetings in advance to the person who deserves honor because of everything she has achieved in life.
Elders teaches us a ton when we grow up under their guidance. I wish many more years ahead, happiness & success to Honourable Mayawati Ji. Happy Birthday! pic.twitter.com/yNI4afTvF0
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 14, 2019
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लेकिन मायावती और अखिलेश ने कांग्रेस से हाथ मिलाये बिना एक तरफा SP-BSP Alliance की घोषणा कर दी. इसके बाद राहुल ने कहा कि वह मायावती जी और मुलायम यादव जी का सम्मान करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इन सपा बसपा ने कांग्रेस को अंडरस्टीमेट किया है.
माना जा रहा है कि तेजस्वी, अखिलेश यादव और मायावती को इस बात के लिए मनाने की कोशिश करें कि वे उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को साथ रखें तो भाजपा को पठखनी देना आसान होगा.
फिलवक्त इस मामले में महज अनुमान ही लगाया जा सकता है लेकिन इस मुलाकात के नतीजे पर सब की नजरें ठहरी हैं.