कुमार अनिल
बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने शनिवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि उनका नाम भी मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया है। भाजपा के कई नेता कह चुके हैं कि मतदाता पुनरीक्षण घुसपैठियों को बाहर करने के लिए किया जा रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या तेजस्वी यादव भी घुसपैठिया हैं। जाहिर है, ऐसा नहीं है। वे बिहार के हैं और उनके पास पासपोर्ट सहित अन्य वे दस्तावेज भी हैं, जो चुनाव आयोग मांग रहा है। कुल मिला कर भाजपा के घुसपैठिया वाले नैरेटिव की आज हवा निकल गई।
प्रेस वार्ता में तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए और सवाल भी पूछे। कहा कि आयोग ने विधानसभा स्तर पर मतदाता सूची दी है। गोल-ल संख्या में बता दिया गया है कि कितने मतदाता मर गए हैं, कितने बाहर स्थायी रूप से चले गए हैं। लेकिन यह नहीं बताया कि वो कौन से मतदाता हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। जब तक उनका इपिक नंबर नहीं दियाजाता, तब तक विपक्षी दल कैसे जांच करेंगे कि आयोग जिन्हें मरा हुआ मान रहा है, वो जिंदा हैं या सचमुच मर गए है। उन्होंने कहा कि आयोग पारदर्शिता के उल्टा तथ्यों को छिपा रहा है।
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से बूथ स्तर पर मतदाता सूची देने तथा यह बताने की मांग की है कि किस बूथ में कितने मतदाता का नाम काटा गया। किस कारण से काटा गया।
उन्होंने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में 20 से 30 हजार तक मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं। आयोग अब भाजपा का आयोग बन गया है। दो गुजराती जो कहते हैं, वही किया जा रहा है। उन्होंने फिर कहा कि लोकतंत्र को समाप्त कर दिया गया है। हम लोकतंत्र के लिए संघर्ष करेंगे।