तेजस्वी ने उठाया नया सवाल, नीतीश के लिए जवाब देना मुश्किल

तेजस्वी यादव ने एक बिल्कुल नया सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा है। 2010 में जिस अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ने नीतीश की सराहना की, वह आज बना आलोचक।

कुमार अनिल

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज एक बिल्कुल नया सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती दी। आमतौर से राज्य की छवि का सवाल जदयू-भाजपा का प्रिय मैदान रहा है। वे राजद पर आरोप लगाते रहे हैं कि 15 साल पहले उसके कारण बिहार की छवि नकारात्मक बन गई। इस बार तेजस्वी ने सत्ता के पक्ष के पसंदीदा मैदान में ही उन्हें चुनौती दी है।

तेजस्वी ने लंदन से प्रकाशित मशहूर पत्रिका द इकोनोमिस्ट के एक आलेख को साझा किया है, जिसमें कहा गया है कि बिहार सरकार ने प्रतिरोध की आवाज पर सेंसर लगा दिया है। तेजस्वी ने तंज कसते हुए अतरराष्ट्रीय पत्रिका में बिहार का नाम छपने पर मुख्यमंत्री को बधाई दी है।

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तेजस्वी ने कहा कि गुरुगोविंद सिंह, महावीर, सीता की जन्मभूमि और बुद्ध- गांधी की कर्मभूमि आज मुख्यमंत्री के तानाशाही रवैये के कारण विशवभर में चर्चा का विषय है। इसके बाद उन्होंने ‘किसान आंदोलन के प्रति मोदी का रवैया डरानेवाला’ शीर्षक से प्रकाशित आलेख साझा किया है, जिसमें पत्रिका ने कहा है कि बिहार में प्रतिरोध की आवाज को पुलिस के आदेश से दबाया जा रहा है।

दरअसल किसी भी राज्य की छवि, उसकी पहचान सिर्फ सांस्कृतिक सवाल नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास, निवेश के लिए भी जरूरी है। विदेशी कंपनियों की बात छोड़ दीजिए, बिहारी एनआरआई भी तभी अपनी पूंजी लगाएंगे, जब छवि बेहतर हो। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने बिहारी एनआरआई से निवेश करने का आग्रह किया था, पर अब तक किसी बड़े निवेश की खबर नहीं है।

रोचक बात यह है कि द इकोनोमिस्ट वही पत्रिका है, जिसने 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खूब सराहना की थी। तब बिहार के अखबारों ने भी द इकोनोमिस्ट की खबर को खूब छापा था। अब जब वही पत्रिका बिहार की नकारात्मक छवि बता रहा है, तो देखना है बिहर के अखबार इसे कितनी प्रमुखता देते हैं।

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तेजस्वी लगातार अपराधियों को सत्ता का संरक्षण मिलने का आरोप लगाते रहे हैं। बिहार पुलिस के उस आदेश का भी उन्होंने विरोध किया है, जिसमें सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने पर नौकरी, ठेका नहीं मिलने की बात कही गई है। अब चरित्र प्रमाणपत्र पुलिस बनाएगी। सत्ता पक्ष ने तेजस्वी के उस विरोध को गंभीरता से लेने के बजाय मजाक उड़ाया था, अब देखना है कि विदेशी अखबार में छपी खबर पर सत्ता पक्ष क्या बोलता है।

By Editor


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