तेजस्वी ने विधानसभा में मुख्यमंत्री को ऐसे फंसाया
विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को बुरी तरह फंसा दिया। संभव है, आज मुख्यमंत्री चुप रह जाएं, लेकिन आगे विपक्ष उन्हें बार-बार घेरेगा।
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आज बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने जाल में फंसा दिया। तेजस्वी यादव ने कहा कि केंद्र सरकार जाति जनगणना कराने से मना कर चुकी है। उन्होंने सदन में प्रस्ताव दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा की एक टीम बने और प्रधानमंत्री से मुलाकात करके इस सदन की मांग से अवगत कराए।
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसके पक्ष में हैं। अब केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने से इनकार कर दिया है, इसलिए यह बिहार विधानसभा की प्रतिष्ठा का सवाल है। यहां मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विधानसभा सदस्यों की एक टीम बने और प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर बिहार के इस चुने हुए सदन की भावना को रखे।
ज्यादा संभावना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं होंगे। तब भी मामला खत्म नहीं हो जाएगा। अब सदन के भीतर और बाहर जब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछड़ों के हित की बात करेंगे, तो तेजस्वी यादव उन्हें याद दिलाएंगे। पूछेंगे कि विधानसभा में मेरे प्रस्ताव पर आप चुप क्यों रहे? इस तरह जातीय जनगणना का सवाल बिहार की राजनीति में फिर-फिर उठेगा और जब भी उठेगा, तेजस्वी और उनका दल राजद आक्रामक होगा।
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आज विधानसभा में जब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इस संबंध में अपनी बात रख रहे थे, तब विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें एक बार टोका, लेकिन तेजस्वी ने कहा कि बहुत महत्वपूर्ण बात है इसलिए सुना जाए। फिर विधानसभा अध्यक्ष ने पूरी बात सुनी। मालूम हो कि जाति आधार पर जनगणना के सवाल एनडीए साफ-साफ विभाजित है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुलकर कह चुके हैं कि जाति आधार पर जनगणना जरूरी है, वहीं भाजपा इसे खारिज कर चुकी है। तेजस्वी ने अपने प्रस्ताव के जरिये एनडीए खेमे में अंतरविरोध को भी हवा देने की कोशिश की। अब देखना है कि जदयू इस सवाल पर आगे क्या करता है।
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